कीमत अपनी को मोती पहचाने कैसे
जो इसको चाहें उनको ये जाने कैसे
जिनके पीछे फिरता है मारा मारा
वो पागल हुए बैठे हैँ किसी और के पीछे-
मेरे लिखे दर्द को वो बड़ी अच्छी शायरी कहते हैँ
वो मेरे अल्फाजों को पढ़कर मेरे दर्द का मज़ा लेते हैँ-
क्या सच में तुम नहीं जानते
के तुम पर जान छिड़कते हम
क्या तुम सच में नहीं जानते
कि तुम को लाखों में एक मानते हैँ
क्या तुम सच में नहीं जानते
कि तुम पहले हो जिसने मोती को बेचैन किया है
क्या तुम सच में नहीं मानते
कि बेइंतहा मोहब्बत है तुम से हमें-
ना जाने कौन इतनी शिद्दत से याद कर रहा है
जो ये हिचकियों ने बवाल मचा रखा है-
समझदारों कि दुनियाँ में मोती नासमझ सा तू
यहाँ कौन सुनेगा तेरी सब सच्चों में इक झूठा सा तू-
वो ज़ब भी बात करता है
इक बात कहता है कि छोडो हमसे मोहब्बत करना और किसी और से दिल लगा लो हम तुम्हारे हो नहीं सकते
और हम हर बार कह देते हैँ तुम हमारे हो ना सकोगे जानते थे हम पहले से फिर भी मोहब्बत कर बैठे
हम्म जानते हैँ किसी और के दीवाने हो तुम ग़र तुम उसको चाहना छोडो दो
तो कसम तुम्हारी उसी वक़्त से हम भी तुम्हें चाहना छोड़ देंगे
और ये जो तुम मेरी मोहब्बत पर झूठा होने का इल्जाम लगाते हो
सच नहीं जानते या फिर आजमाना चाहते हो-
तुम सही हो अपनी जगह
तुम चाँद सी और मैं छवों सा
तुम आग सी और और मैं रखा सा
तुम मोम से नरम और मैं पत्थर सा कठोर
तुम सच में हीरा हो और मैं नाम का मोती
तुम को चाहती सारी दुनियाँ चले तुम्हारे साथ प्रिये
मैं ना किसी को भाता सब करते तिरस्कार प्रिये
तुम चाँद सी और मैं छवों सा प्रिये
तुम अपनी जगह सही हो प्रिये
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मैं सकूँ ढूंढ़ता हूं उसको यादों में रखकर
और वो खुश है किसी और कि यादों में-
गम इस बात का नहीं मुझे कि मेरी मोहब्बत को पहचान ना पाए तुम
मलाल इस बात का है कि उनको अपना बताया तुमने जो सिर्फ तुम्हारे जिस्म के भूखे थे-