कुछ रिश्ते जिस हाल में है उन्हें उसी हाल में छोड़ देना बेहतर है... कभी कभी उन्हें ज्यादा संभालने में हम खुद ही बिखरने लगते हैं..
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उस याद करना नहीं चाहता फिर भी हर बात में उसकी याद आ ही जाती है, क्या करू इस बीमारी का इलाज उसका पता नही, अब तो हाल ये कि आज कल ये बीमारी भी अच्छी लगने लगी है ।
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हसरतें कुछ और हैं । वक्त की इल्तजा कुछ और है कौन जी सका है... ज़िन्दगी अपने मुताबिक दिल चाहता कुछ और है होता कुछ और है
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जीत का आश्वाशन हो तो हर कोई जंग कर लेता है, पर हार की निश्चितता में लड़ाई जारी रखना ही असली योद्धा की पहचान है
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खुद को संभाल नहीं सकते पर क्या कर जो अपने है उन्हे कैसे बीच रास्ते छोड़े दे
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तेरी गैर मौजूदगी में अहसास हुआ,
कि तू जरूरत नहीं मेरी,
तू तो जीने की वजह है,-
खुद को उसके लिया फना भी कर दू तो क्या, उस परवाह नहीं है, खुद से ज्यादा चाह कर भी अकेला क्यू हूं। एक हसरत के जो कीमत चुकाई है मैने, उसमे तो खुद को सौ दफा मिटा के बना भी सकता था ।।
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रिश्ते की दुहाई ना दे मुझे, मैने वो रिश्ता भी निभाया जों मेरा था ही नहीं,
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