उसका सपना था मिट्टी में मिले
रक्त को पहचान कर,
ललाट पर धारण किया जाये।
उसका सपना था बंदूकें लगाकर
जमीन को बचाया जाए।
उसका सपना था धर्म की प्राचीर
ढहा कर झोंपड़ी को रास्ता दिया जाए।
उसका सपना था पूंजीवाद की कब्र
पर गुलाब लगाया जाए।
उसका सपना था जवानी जला कर भी
विचार बचाया जाये।
उसका सपना था मिट्टी मानवता व
मोहब्बत की ख़ातिर इंकलाब लाया जाये।
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M. 9636222539
बसंत के फूलों सी बेटियाँ
पहाड़ों का सीना चीरती नदियों सी बेटियाँ
जुल्म के खिलाफ़ लड़ती कलम सी बेटियाँ
अंधकार से आँख मिलाती 'रवि' सी बेटियाँ
शोषित के हित में जलाती 'नवदीप' बेटियाँ
समाज, धर्म, राष्ट्र के बंधन हमें ना चाहिए
हमें गुलाब भी चाहिए इंकलाब भी चाहिए-
दुनिया में सबसे सुंदर
प्रेम कविताएँ उन
कवियों ने लिखी
जिन्हें प्रेम कभी मिला नहीं,
जिन्हें प्रेम मिला,
उनके शब्द खो गये
किसी बंसत के फूलों में
वो कलम भूल आये
किसी नदी किनारे
उनकी स्याही काजल बन
समा गई किसी की आँखों में।
प्रेम होता है अधिक,
न जाने क्यों उनसे
जो जीवन में कम मिलते है।-
राम सा राजा हो, जिसमें कृष्ण सी कला हो
प्रताप सा पराक्रमी,शिवा सा जो शेर हो
कलयुग का कल्की या कोई अवतारी हो
हिंद को बचाने मानो, प्रभु ने देह धारी हो
भारत के अतीत का, गौरव बढ़ाने को
गाँव गाय गरीब का, संहार रुकवाने को
आतंक भ्रष्टाचार पाखंड मिटाने को
आए हो राष्ट्र प्रधान मानो, भारत बनाने को
सत्य की सह जिसमें,आत्म में विश्वास हो
धैर्य धारण किए, परिश्रम जिसकी पहचान हो
चंद्रवरदाई के चाँद सी, भूषण के भाण सी
राष्ट्र के सम्मान की कविता सुनाता हूँ-
मेरे हालात मेरे कर्मो की कमाई थी।
अपनों ने तो मुझे हँसाने की कसम खाई थी।।-
बुद्ध से सीखा है हमने
अतीत की पीड़ा का राज,
युद्ध में देखा है हमने
भविष्य के सपनों का नाश,
काम क्रोध व पीड़ा का
संचार, संसार में सच्चा है।
दीदी याद दिला रही है,
वर्तमान में ज़ीना अच्छा है।।-
उदास हो कर भी जिंदा आस रखे,
हार के बावजूद जीत का विश्वास रखे,
प्रकृति के प्राणों को मोड़ा नहीं जा सकता
पहाड़ सा इरादा है, तोड़ा नहीं जा सकता।।
बेगुनाही की सजा अच्छी नहीं होती,
हर प्रेम कहानी सच्ची नहीं होती होती,
आँसुओं से भी सुकून की
आस ना रहे,
बहुत कठीन होता है जीना,
जब रब पर भी विश्वारा ना रहे।।
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मैंने,
बस इतना जाना है।
संसार के सार से,
अनुभव के विस्तार से।
अपनों के अनुराग से,
पीड़ा की आग से।।
जीना है तो जलना होगा,
अपने में ही खिलना होगा।
जगत् में न कोई अपना है,
सुख एक झूठा सपना है।।
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समझ तब आती है -
जब पूर्णता पा जाये पीड़ा
जब विचार हो विश्वास पर,
अपने आपको कर दे मुक्त
महाजाल के जंजाल से।।
समाज, परिवार व परंपरा
बंधन का रूप विकराल है
प्रेम, प्रकृति व प्रश्न ही
सत्य का संसार है।।
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जब बचपन को मारा जाता है
जब अपनों से हारा जाता है
जब घूटन के साथ जीना पड़े
जहर का घूँट तब पीना पड़े
जीने का ना कोई सार हो
चारों ओर हार ही हार हो
तब स्वप्न डराने लगते हैं
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