दिन की आशाओं से थके तो हैं बहुत
कहो तो सुकून की रात कौन करे
जिंदगी की दौड़ धूप से परेशान हैं कई
कहो तो खुशियों की बरसात कौन करे
ताउम्र ख्वाहिशों की चाहत में चलते रहे
कहो तो सुकून में खुद से मुलाकात कौन करे
खामियां तो दूसरों में मिल ही जाएगी
कहो तो खुद की अच्छाईयों पर सवालात कौन करे
-
मुस्कुराहटो के शहर में अश्क़ मुबारक
कभी सुलझने तो कभी उलझने मुबारक
कहीं चालाकियां तो कहीं बेवकूफियां मुबारक
गिरती संभलती कमबख्त जिंदगानी मुबारक
-
एक राह जो कभी मंजिल बनी ही नहीं
एक शाम जो कभी सहर बन ना पाई
एक किनारा जो कभी चला ही नहीं
और एक लहर जो कभी ठहर ना पाई
-
खुद के लिए तो हमेशा खुशियां तलाशते हैं,
चलो इस दिवाली दूसरों के चेहरों पर मुस्कान लाते हैं
अपनी हवेली को तो हम हर साल रोशन करते हैं,
चलो इस दिवाली किसी गरीब की आशियाने में दीपक जलाते हैं
खुद की उम्मीद बने रहना बेशक अच्छा है मगर,
चलो इस दिवाली किसी और की जिंदगी में उम्मीद की रोशनी लाते हें।-
मन के शून्य से अनंत का सफर क्या बयान करूँ
मन का सफर मन ही जाने
हाँ कुछ किस्से कहे हैं मैंने भी लम्बी सी रातों में
बैठे हुए कुछ ख़ामोशीयों के सिरहाने
हर सवाल से जूझना अब भाता नही है
आते हैं मुझे इन्हे टालने के बहाने
कुछ उलझी हुई सी रहती हूँ खुद में
इस मशरूफियत की वजह जिंदगी ही जाने...
-
जिंदगी का कोई ठिकाना नहीं
सुना है आस पास रहती है
हँसती मुस्कुराती रहती है फ़िज़ा
हवाएं ना जाने क्यों उदास रहती है
रास्ते अब बेहद लम्बे हो चले हैं
हर वक्त बस मंजिल की आस रहती है
पसंद नहीं आती अब भीड़ की मौजुदगी
मुझे तो बस सुकून की तलाश रहती है.....-
ख्वाब सारे सच होते कहाँ है
ख्वाब ये अधूरे हैं सताने के लिए
कुछ झूठ को झूठ हम समझते नहीं
बहाने ये अच्छे हैं खुद को बहलाने के लिए
खुश होना अब इतना जरूरी नही
जरूरी है मुस्कान बस ज़माने के लिए......
-
कि मेहनत भी अब सजा हो चुकी है
उम्मीद भी बेवजह हो चुकी है
अब कितना परखना है और ऊपरवाले को मुझे
मेरे तो सबर की भी अब इंतेहा हो चुकी है।...-
Ab na main hu na baaki hain
jamane mere
Fir bhi mashur Hain
shehron mein fasane mere
Jindagi h toh naye jakhm
bhi lag jaayenge
Ab bhi baaki hain kayi
dost purane mere....
-