MoonWishh 1324   (Moonmoon)
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Poetophile & Graphophile
Joined 23 April 2024


Poetophile & Graphophile
Joined 23 April 2024
3 MAY AT 10:27

कभी यूं ही, खुश हो लेती हूं,
बस‌! वैसे ही दिल भर आता है,
बाक़ी है तू मुझ में कहीं।

पल, अब भी ख़्वाब से लगते हैं,
बेहद काम और मसरूफीयत के बीच,
तेरे लफ़्ज़ों की झलकियां दिखती है,
बाक़ी है तू मुझ में, यार!

अब जिंदगी दिल नहीं तोडती,
ख़्वाबों को रफ्तार मील गईं,
बस! मैं ही काफ़ी हूं मेरे लिए,
क्यों कि,
अब भी बाक़ी है तू मुझ में।

तूझसे अलग हो ने का डर
कहां से लाऊं?
इस रूह का हीस्सा है तू यार,
हमेशा रहेगा तू मुझ में।

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1 MAY AT 21:55


हम नज़्म बने,

और वह है कि
हमारा चांद बने बैठे हैं।

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30 APR AT 11:16

उनकी शिक़ायत है!
सामने नहीं देखते हम उनके,
नज़रें नहीं मिलाते उनसे,

कैसे देखते? कैसे नज़रें मिलाते?

क्या कहते उनसे की,
"इश्क़ करने लगे हैं अब आपसे!"

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30 APR AT 2:38

તમે ભૂલા પડ્યાં!
કદાચ, એ જ રસ્તે આપણે મળ્યાં.

નવા રસ્તે, થોડોક સાથ આપી ગયાં.
અને હવે હું ભૂલી પડી!

ત્યારે જાણ થઈ કે
તમે ખૂબ કપરો રસ્તો ચીંધી ગયાં.

મારી અંદર ભરી તમને ચાલી નીકળી
ફરી કોઈક રસ્તે તમને પાછા મળવાં.

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30 APR AT 1:04

जानती हूं! जनाब
माहिर है इश्क़ के खेल में,

अब, कम तो हम भी नहीं
जी-जान से खेलने में।

मज़ा इश्क़ का कुछ यूं है,
कि तबाह होना है बस
तुझ पर हार कर।

बाकी! अब कुछ है नहीं,
तेरे जाने के बाद वैसे भी,
क्या करुंगी कुछ बचा कर।

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29 APR AT 23:28

बर्फीले मौसम में तूमसे चैट हो रही थी,
बर्फ गिरने की वजह से रोशनी चली गई थी।

और तुमने बेफिक्री से कहा था,
अच्छा चांस मिलता, वहां होता तो!
गालों को बेझीजक चूम लेता।

और अब जब तुम नहीं हो
तो तुम्हारे ख़यालों से ही
मेरे अंधेरे महकने लगते हैं।

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29 APR AT 16:28

"काश आऊंगा"!⁰

तेरे 'काश' को छोड़कर 
'आउंगा' मेरा तवज्जो ले गया,

तेरा इंतज़ार मुझे सूकून दे गया।

कि, फीर से तूम्हे सोच कर,
तेरा वो एहसास ताज़ा कर गया।

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29 APR AT 1:12

सालों से कमीं थी उस नींद की 

तूमसे मिलने के बाद अब सोई हूं।

एक अरसे से भटकी हुई मैं 

लगता है कि अब घर लौटी हूं।

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27 APR AT 19:31

अब, नज़दीक आप आने से रहे,
दूर हम जानें नहीं देंगे।

ईस जद्दोजेहद के साथ ऐ दोस्त 
पल पल हम तो ज़ीने से रहे।

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26 APR AT 20:42

दिल में इश्क भरा है
जलन किस बात की है?

यह सब कुछ तो
तुम्हारा ही किया धरा है।

सुकून से जा रही थी जिंदगी,
बारिश बनकर तुम बरस पड़े थे।

अब जब थम्भ गए हो
तो हाल क्या कर गए हो? देखलो!

कि अब दिल में इश्क भरा है
और जिंदगी अजा़ब हो चली है।

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