उनका तस्वीरें खींचना, गुनाह कर दो
जाने कितनो को उन्होंने, गुमराह किया है-
Philosophical yet realistic
Writing the heart out
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ख्वाहिशों को दिल से, यूं निकाला नहीं जाता
मुस्करा दिया करो, जब-जब संभाला नहीं जाता
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इन राहों से प्यार मुझे, मंजिल से ज्यादा है
जितना जानते हो तुम, वो तो सिर्फ आधा है-
कई बार गिरता हूं, कई बार संभल जाता हूं
कभी किस्मत, तो कभी मैं ही, बदल जाता हूं
लड़ता हूं हर मोड़ पर, खुद से औैर ज़माने से
कहीं लोग धकेलते है, तो कहीं फिसल जाता हूं
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किसी के बारे में, यूंही कोई, तू सोच मत बनाना
लोगो का काम है, दूसरे पर, मनमर्जी रंग चढ़ाना
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हर एक पल में, हजारों सदियां जीते हैं
हम भुलाने को नहीं, उनका नाम लेके पीते हैं
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रंगीन लिबास में, काले कारनामे छिपाते हो
सुना है तुम, आजकल ज्यादा ही मुस्कुराते हो
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कुछ इस क़दर रही, मेरे इश्क की कश्मकश
ना उसने हाथ ही पकड़ा, ना नज़रे ही हटाई
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इत्मीनान से देखते है, उनके हुस्न के जलवे
मोहल्ले में दीवानों का, एक हुजूम लगता हैं
वो ढूंढता है भीड़ में, चंद पलों की खुशियां
इश्क से शायद मुझे, थोड़ा महरूम लगता है
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शर्तो में बंधा रहना, गवारा नहीं था
वो आज़ाद था साहब, आवारा नहीं था-