Monish Asghar   (शादाब असग़र)
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कहानियों में जीने वाला एक शख्श
Vice President :- Poetic Atma
President at Purvaiya Poetry
Joined 20 May 2018


कहानियों में जीने वाला एक शख्श
Vice President :- Poetic Atma
President at Purvaiya Poetry
Joined 20 May 2018
2 DEC 2021 AT 14:47

क्या ही सितम निकाले गए उस जहान से
हम आसमाँ के लोग थे जीते थे शान से

ऐसा नहीं है वो हमें भाता नहीं, रक़ीब
बस तंग आ गया हूँ मैं इस खींच तान से

तू चाहता है मैं तेरी जानिब को फ़िर चलूँ
मैं तीर जो निकल गया तेरी कमान से

मिन्हा ख़लकनकुम व फ़िहा नोईदकुम
मिट्टी भी ली गई मिरी हिन्दोस्तान से

क्या हो अगर ये नर्क हो कोई जहान का
क्या हो अगर न आये कोई आसमान से

कोई दोस्त ही नहीं मिरा इक तुझको छोड़ के
तू है मिरा तो लेना ही क्या दो जहान से

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28 NOV 2021 AT 17:40

हम को अभी पहचान ले ए जान वग़रना
इक़ उम्र तेरी आँख के पानी में रहेंगे

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20 NOV 2021 AT 10:46

मेरी कविताएं
मेरी कविताएं, और कुछ नहीं
बस कुछ बातें हैं
जो , मैं तुमसे करना चाहता था।

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18 NOV 2021 AT 10:55

सब चाँद निकलने की तरफ़ देख रहें हैं
हम चाँद से चेहरे की तरफ़ देख रहें हैं

तू लौट के आजाएगा उम्मीद यही है
हम बैठ के रास्ते की तरफ़ देख रहें हैं

खिड़की की तरफ वो है और उस के बगल हम
हम खिड़की के शीशे की तरफ़ देख रहें हैं

हम को न ख़बर कुछ दरों दुनिया की बला का
हम हुस्न तुम्हारे की तरफ़ देख रहें हैं

इक़ पल में भुला बैठें हैं दुनिया के मसाइल
इक़ छोटे से बच्चे की तरफ़ देख रहें हैं

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22 JUL 2021 AT 16:51

एक लड़की को देख के ऐसा लगता है
इस लड़के के पास भी है दिल जैसा कुछ

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11 JUL 2021 AT 20:30

अगर मैं ये कहूँ इश्क़ है तुम्हीं से
बताओ तब तुम्हें कैसा लगेगा

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11 JUL 2021 AT 6:34

हम ढूंढ़ लें कोई तुम जैसा
ये तो नामुमकिन है
तुम ढूंढ लो कोई हम जैसा
आसान ये भी नहीं

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10 JUL 2021 AT 20:30

बन्द कमरा ,सर पे पंखा, तीरगी है और मैं
एक लड़ाई चल रही है जिंदगी है औऱ मैं

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9 JUL 2021 AT 20:53

मैं जिनके सामने झुकता नहीं हूं
मैं उन के वास्ते अच्छा नहीं हूं

तेरे कहने पे मैं भी दुम हिलाऊं
मैं आशिक़ हुँ कोई कुत्ता नहीं हूं

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9 JUL 2021 AT 18:40

दुनिया चुनें की दीन चुनें या तुझे चुनें
ये कैसे इंतेखाब में उलझे हुए हैं  हम

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