monikaviren bhati   (monikavirenbhati)
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Housewife
Joined 24 May 2020


Housewife
Joined 24 May 2020
9 MAY 2021 AT 12:00

जब दवा काम ना आए तो दुआ पढ़वाती हैं

वो मां हैं जनाब हार कहा मानती हैं

नजर ना लग जाए कही तो ताबीज़ पहनाती हैं

वो मां हैं जनाब हार कहा मानती हैं

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8 MAY 2021 AT 15:07

आकाश अपना नया घर बनाने के लिए अपने प्लॉट पे लगे आम के पेड़ को कटवाना चाहता था पत्नी इस बात से नाराज थी वो चाहती की पेड़ को कहीं दूसरी जगह शिफ्ट किया जाए बिना वजह का खर्चा हो जायेगा ये सोच आकाश ने पेड़ कटवा दिया आज पूरे पांच साल बाद आकाश की पत्नी आक्सीजन के लिए तड़प रही हैं और आकाश उसे आई सी यू के बाहर खड़ा तड़पते हुए देख रहा हैं पत्नी के अंतिम शब्द आकाश को शायद ही कभी सुकून से जीने दे "आकाश उस दिन यदि तुम वो पेड़ नहीं कटवाते तो शायद मैं मर के भी जी पाती आज तुम्हे ये अहसास हो रहा होगा जब अपना कोई बिछड़ता है तो क्या अहसास होता होगा शाम को घर लोटे उन पक्षियों को भी जब उनका घर नहीं मिला होगा तब वो भी इसी तरह तड़पे होंगे जैसे आज तुम मुझे चंद सांसों के लिए तड़पते हुए देख रहे हो तुमने अपना महल खड़ा करने के लिए इन पक्षियों से इनका घरौंदा छीना हैं इसकी सजा तो तुम्हे मिलनी ही थी अलविदा!"

"अहसास प्रकृति का"(save bird save water save tree)

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16 FEB 2021 AT 16:01

वो नादानिया भी कितनी अच्छी थी

समझदार क्या हुए

ज़िन्दगी बोझ लगने लगी

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3 OCT 2020 AT 1:43

रात भर नीलामी चलती रही ,पतंगे सी वो दिए में जलती रही
वो दागदार किए जा रहे थे ,उसके जिस्म को सारी रात
वो बिन पैसे के बिकती रही, नोच नोच के खा रहे थे उसकी रूह को वो
वो अर्द्ध नग्न सी सड़क पे मरती रही ,रातभर नीलामी चलती रही

रात के अंधियारे में सुनसान इलाके में, चमचमाती गाडियां चलती रही
फिर भी वो अर्द्ध नग्न सी सड़क पे मरती रही
दुपट्टा कहीं दूर झाड़ियों में जा गिरा था उसका
उसके कपड़ों के चिथड़े चिल्ला चिल्ला के इंसाफ की दुहाई मांग रहे थे
सारी रात उसे परिवार की इज्ज़त कोसती रही ,वो अर्द्ध नग्न सी सड़क पे मरती रही

कुछ हिम्मत रख जब पाव खड़े किए उसने ,लहू से सनी एक चिल्लाहट निकलती रही
समाज से बहिष्कृत होने के डर से बेमौत ही वो मरती रही
अर्द्ध नग्न सी सड़क पे वो मरती रही

सियासती रोटियां सिकती रही ,जिस्म के साथ रूह भी मरती रही
जिसने छुआ नहीं सीता को उस रावण को जलाके, बलात्कारियों की हेवानियात छुपती रही
फिर से एक ओर निर्भया एक ओर मनीषा एक ओर हिंदुस्तान कि बेटी,
चिता की आग में जलती रही,वो अर्द्ध नग्न सी सड़क पे मरती रही

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1 OCT 2020 AT 0:40

ज़िन्दगी का असली अनुभव तो

ढलती उम्र का मोहताज है

जबसे पता चला

जाके बाजारों में डिग्रियां सारी बेच डाली

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28 SEP 2020 AT 15:37

ये जायदाद भी बड़ी बेरहम बला है जनाब

हिस्से कराके ख़ुद के मेरे बचपन के किस्से चुरा ले गई

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21 SEP 2020 AT 22:10

रातों के सौदों से वफाई मेरी बदनाम हो गई

गलती तो हया की थी और मोहब्बत मेरी सरेआम गई

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21 SEP 2020 AT 21:16

पाठशालाओं के सालाना इम्तिहानों से डरते भागते थे

खबर नहीं थी कि ज़िंदगी हर रोज एक नया इम्तिहान लेगी

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15 SEP 2020 AT 19:53

मेरे कपड़ों से मेरे ओहदे का पता मत लगा देना दोस्तों

मैं रिश्तों में ठोकर खाया पैसे वाला गरीब हूं

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15 SEP 2020 AT 15:38

तकलीफे तो दिल में छुपा रखी है

नादान है वे लोग जो

कमरे की तलाशी किए जा रहे हैं

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