Monika Singh   (Monika Singh)
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Research Scholar
Joined 12 October 2019


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Joined 12 October 2019
YESTERDAY AT 0:52

तुम दिल हो, दिल की धड़कन हो ।

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1 JUN AT 14:55

वह साथ था मेरे हमेशा ही
बस उस वक्त को छोड़कर ।
जब उसकी ज़रूरत मुझे
ख़ुद से भी ज़्यादा जरूरी थी ॥

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23 APR AT 14:58

कौन जात हो क्या मतलब
हिंदू है पहचान तुम्हारी ।
मौत देदी बस नाम जानकर
नहीं पूछा उपनाम तुम्हारा ॥
अब तो आँखे खोलो राम
गोली खायी है भैयो ने
अब तो मिलकर करो एलान ।
कौन था पंडित कौन चमार
कौन कांग्रेसी था कौन भाजपायी
कौन सेक्युलर कौन था कट्टर
ना जाना कोई भी काम ॥
मौन है तुम्हारे सारे मजहबी इस्लाम
नहीं लिख रहा कोई उनको हराम
कल बैठा था बगल तुम्हारे
शायद कल होजाएं शैतान
आज कह रहा तुमको पंडत,
जाट, कुम्हार और धीमर
कल पूछेगा बस एक नाम ॥

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18 APR AT 11:03

तुम दिन बनी तुम रात बनी
मेरी जिंदगी की हर बात बनी।
ख़ुश रहने की वजहा बनी
यूँ ही चलती जिंदगी में
तुम मेरा हर एहसास बनी ।

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6 MAR AT 13:08

तेरा साथ शिव सा है
निराकार निस्वार्थ है प्रेम तेरा।
दुनिया की चालाकियो से
अनजान तू भोला है मेरा
मेरे लिए हर मुश्किल का
समाधान शिव सा खड़ा ॥

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30 DEC 2024 AT 8:59

ख़ुद से मिलकर हसें तो बरसों बीत गए हैं साहिब ।
अब तो बस दुनिया वालो से मिलकर हसतें हैं ॥

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30 DEC 2024 AT 8:50

वो जो रोए नहीं रोने के वक्त ।
उन्हें हँसने का हुनर भी आता नहीं होगा ॥

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30 DEC 2024 AT 8:20

बुनती उधेड़ती उम्मीदों के साये
मैं बैठा करती अक्सर यादें समेटने ॥

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30 DEC 2024 AT 8:12

जीती गईं सारी बाजियाँ प्रेम से लेकिन।
जरूरी थे लड़ने अपने हिस्से के युद्ध ॥

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19 DEC 2024 AT 19:32

मैं नशे में रहता हूँ, हँसता भी बहुत हूँ आजकल
और क्या चिल्लाकर बताऊँ मैं रो रहा हूँ आजकल ॥

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