तू मेरे मन की चालों में मत फँसना
ये मुझसे भी अक्सर झूठ ही कहता है…
ये तुझे कभी नहीं बताएगा
कि ‘तेरे बिन’
तुझे क्या क्या बताता है…॥
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सबके अपने अपने ग़म के पोथे
सब जाएँगे अपनी अपनी मंजिल
अंत सभी को होगा मृत्यु का दर ।
मर जाएँगे सब अपनी अपनी मृत्यु
रह जायेंगी कहानियाँ यहीं ।
किसी के ज़िन्दगी के मलाल की
तो किसी के मृत्यु के हाल की ॥
सबके अपने अपने दुश्मन
सब खेलेंगे खेल अदले बदले का ।
कुछ होंगे बलिदान देश पर
कुछ अपनों की खातिर जाएँगे
बस ना जाए कोई अपनों के हाथों ॥
मार दे दुश्मन मुझे अभिमान से जाऊँ ।
बस ना मारे कोई अपना मुझको
तड़पता मरने के बाद भी रह जाऊँ ॥
सबके अपने अपने ग़म के पोथे
सबकी अपनी अपनी मृत्यु ॥-
वह साथ था मेरे हमेशा ही
बस उस वक्त को छोड़कर ।
जब उसकी ज़रूरत मुझे
ख़ुद से भी ज़्यादा जरूरी थी ॥-
कौन जात हो क्या मतलब
हिंदू है पहचान तुम्हारी ।
मौत देदी बस नाम जानकर
नहीं पूछा उपनाम तुम्हारा ॥
अब तो आँखे खोलो राम
गोली खायी है भैयो ने
अब तो मिलकर करो एलान ।
कौन था पंडित कौन चमार
कौन कांग्रेसी था कौन भाजपायी
कौन सेक्युलर कौन था कट्टर
ना जाना कोई भी काम ॥
मौन है तुम्हारे सारे मजहबी इस्लाम
नहीं लिख रहा कोई उनको हराम
कल बैठा था बगल तुम्हारे
शायद कल होजाएं शैतान
आज कह रहा तुमको पंडत,
जाट, कुम्हार और धीमर
कल पूछेगा बस एक नाम ॥-
तुम दिन बनी तुम रात बनी
मेरी जिंदगी की हर बात बनी।
ख़ुश रहने की वजहा बनी
यूँ ही चलती जिंदगी में
तुम मेरा हर एहसास बनी ।-
तेरा साथ शिव सा है
निराकार निस्वार्थ है प्रेम तेरा।
दुनिया की चालाकियो से
अनजान तू भोला है मेरा
मेरे लिए हर मुश्किल का
समाधान शिव सा खड़ा ॥
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ख़ुद से मिलकर हसें तो बरसों बीत गए हैं साहिब ।
अब तो बस दुनिया वालो से मिलकर हसतें हैं ॥-
वो जो रोए नहीं रोने के वक्त ।
उन्हें हँसने का हुनर भी आता नहीं होगा ॥-
बुनती उधेड़ती उम्मीदों के साये
मैं बैठा करती अक्सर यादें समेटने ॥-