एक फ़साना हमारा लिख दे। जो जज़्बात समझ ना सकी, वो जज़्बात लिख दे। इश्क की किताब में एक किस्सा हमारा लिख दे। कह ना सके जो बाते मुझसे, वो बाते लिख दे। जो सज़ा ये दूरी ना दे सकी, वो सज़ा मेरे हक में लिख दे। इश्क की किताब में...
इस अंधेरे की ए मजरूह अब तो आदत करनी होगी। इस अंधेरे से तो अब मोहब्बत करनी होगी। रोशनी में तक़दीर से टकरा बैठे तो क्या , अब अंधेरे की शिकायत हमारे सामने ना होगी।