Monika Parmar   (Monika parmar)
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Joined 4 February 2019


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5 JUN 2022 AT 11:35

"तो क्या प्रीति लोग बिल्कुल भी संवेदनशील नही है पर्यावरण को लेकर , आखिर यह सब हमारी ही जिम्मेदारी है ।अब तुम और मैं क्या कर सकते है"

वो फोन पर शायद अपनी सहेली के साथ पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रही थी
जब मैंने जाकर उसका गलती से खुला छोड़ा नल बन्द किया।

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5 JUN 2022 AT 11:22

मैंने थामा जो हाथ उसका
उसे बहुत सहज पाया
वो मुस्कुराई तो
मैंने खुद को खुश पाया
उस आँचल में सुकून था
जिसे अबतक तलाशा था मैंने
नज़र चुराकर मुड़कर जो देखा मैंने
खुद को ही इस प्रेम को बर्बाद करता पाया

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5 JUN 2022 AT 11:15

कुछ लिखकर कैसे तुझे सांत्वना दू
तेरे इन हालातों का कुछ गुनहगार मैं भी हूँ

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5 JUN 2022 AT 11:08

ये मेरी कलम अपने
कितने किरदार गढ़ती है
शब्दो पर सवार होकर
अपने संसार रचती है
कागज को छू जाए तो
अपना सब कह देती है
मेरी कलम मेरा
अक्स सहेजती है।

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11 APR 2022 AT 15:16

भटके हुए पथिक की भांति मैं भी
भटक जाता हूं तुम्हारी गहरी आंखों में

किसी जादू सा है तुम्हारा होना भी मेरे लिए
मैं ठहर जाता हूं तुम्हारी बेढंग बातों में

तुम मुस्कराती हो तब पल्लव खिल उठते है
मन के निर्जन वन की कन्दराओं में

तुम चाँद नही अंधेरा हो मेरा
मैं होता हूं रोशन इन सदाओं में।

~ Monika parmar

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11 APR 2022 AT 14:52

ये ढलती शाम का आसमाँ
सिंदूरी हुआ जाए
सर्द हवाओं का आँचल लपेटे
रात में सिमटा जाए
किसी रोज में भी सिमट जाऊ
आँचल में तुम्हारे
और इस शाम सी लाली
तुम्हारे चेहरे पर आए..

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11 APR 2022 AT 14:20

शाम के साहिल पर जब ख्याल टकराते है
अपने आशियानों में परिंदे भी लौट आते है

कौन जाने वो रास्ता किस तरफ है
जिधर चली भीड़ हम उस ओर मुड़ जाते है

वहां दरवाजे पर किसी के कदमो के निशा है
कुछ लोग बस आकर यू ही चले जाते है

रात के अंधेरो में ना निकला करो 'मीत'
कालिख लगे चेहरे अक्सर नज़र नही आते है।

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11 APR 2022 AT 14:03

तन्हा दिल से कोई कर तो ले बात

चाँद की रोशनी में सुकून की आस
ये खाली दिल करता तारो से मुलाकात

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26 MAR 2022 AT 21:09

मैं हरपल तुम्हारे ख्याल में रहा
एक तेरे ही साथ प्यार में रहा

शाम बदलकर रात हो गयी
मैं फिर भी तेरी याद में रहा

मुझे मयस्सर नही दीदार तुम्हारा
मैं तेरे सँग उस ख्वाब में रहा

एक तुम हो कि तुम्हे खबर नही
और मैं सोचकर तुम्हे बेहाल रहा।

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25 MAR 2022 AT 13:19

वो जो अधूरा सा चांद है
खुद ही खुद को पूरा कर देता है
अक्सर मेरे अंधेरे हिस्से को
अपनी चाँदनी से रोशन देता है
अधूरा वो ,अधूरी मैं
ये अधूरापन ही हमे जोड़ देता है ।

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