आगे बढ़ते रहो
सीधी सड़कों का
भी क्या ही मज़ा?
पहाड़ों के रास्ते
सी ये जिंदगी।
क्यूं नहीं फिर
थोड़ा लुत्फ़ लेते चलो।-
जीवन ऐसा कभी
दिन न दिखाए।
रहमत पर किसी की
ये तन हो जाए।
मन को कहते रहो
मस्ती में ही ये उड़ जाए।-
समय पर समय दो लोगों को
ये बात समझ आ जाए सबको
समय लौटकर आता नहीं
कभी किसी के लिए।
-
लिखने का साहस दिया
भावों को मंच दिया।
समय चुरा कर थोड़ा सा
जीवन को ये अंश दिया।
अपना जो लगने लगा
ऐसा सुंदर संग दिया।-
विचार रहे निर्मल तो
शांत रहता ये मन।
तन को भी रहती खबर
कोई हलचल नहीं भीतर।-
ये वो किताब हैं जिसको पढ़ते रहो।
जिससे कुछ नया सीखते रहो।
और बढ़ते रहो उस अंत की ओर
जो रहस्य हैं सबके लिए।
-
तुम बिन जीवन, की अब कल्पना भी नहीं
विश्वास अडिग भक्ति तेरी तार देगी।
संसार की माया में,अगर घिरे रहे तो
डूबना निश्चित,फिर कैसे ये नैया पार होगी?-
शोर में सुकून हैं
सांसों का संगीत हैं ।
आत्मा भी वही
सृष्टि भी वहीं।
कृष्ण नहीं तो
पथ दिशा हीन हैं।
-
पुकारो उसे सच्चे भाव से
वो सब सुन लेता हैं।
दीवाने अगर हो जाओ
प्रेम में मोहन के।
तो रंग कोई और न
तुमको रंग सकता हैं।-
कह नहीं पाते जब कुछ
लिखना सरल लगता हैं।
पल बीते न जब पल में
रुकना सरल लगता हैं।
शब्दों का ये जाल
बुनना सरल लगता हैं।-