मुलाक़ात जिनसे रोज़ नहीं
बात बहुत अदब से फरमाते हैं।
हर वक़्त नज़र आने वाले लोग
लोगों को कहां भाते हैं?
वक़्त कितना भी जाया करो
अंदाजे बया नहीं बदल पाते हैं।-
कभी कभी होता यहीं हैं ।
समझ नहीं आता कुछ
जिंदगी में सही चलते चलते
सफर थमता यूंही हैं।
कैसे करे कहां से शुरू
लगे कुछ संभलता नहीं हैं।-
सच ही तो हैं
बस याद नहीं है।
अपना लगे जो कुछ
वो आपका नहीं हैं।
समय समय पर
आभास होता यही हैं।-
जीवन अनुभव
जब तक जीवन में
मां की छत्रछाया है
तभी तक ही आप राजा हैं।
उसके बाद तो हर कोई
किसी न किसी की चाकरी
ही कर रहा हैं।-
नहीं समझ सकते
कब क्या हैं किसके दिल में?
खुश मत हो बेवजह
कुछ मसले जिंदगी भर
न सुलझे हैं, न सुलझेंगे।-
तालमेल बहुत जरूरी हैं
आराम भी जरूरी हैं।
मशीन और इंसान में
कुछ तो फ़र्क हो।
मन से जीने का हक तो
सबको होना चाहिए।-
कितनी ही आहुतियों
से बनता ये जीवन।
साधन और साधना
से सजता ये जीवन।
कर जोड़ करो स्वयं
आत्मचिंतन।-
सच नहीं बस हैं, ये नाते
समय देख, हालात देख
कुछ निभ जाते कुछ नज़र चुराते।
बात बनाने को सब आ जाते
जीवन जीना लेकिन यही सिखाते।-
इस तन को ये ही नचाता
मन न देखा किसी ने जब
फ़िर क्यूं इतना भाव ये खाता।
कभी अपना कभी किसी का
इस मन को चैन न आता।
चाबी हैं इसके ही हाथ में
सारी उम्र ये हमें जताता।
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सब कितना आसान लगता हैं
हकीकत नहीं ख़्वाब लगता हैं।
कोई डिगा न सके इस मन को
होता नहीं कहना आसान लगता हैं।-