monika kanaujiya   (Mk)
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Joined 30 July 2018


Joined 30 July 2018
20 APR AT 20:09

बैचेन शाखें दरख़्त की,
राहत की दरकार है,
पथराई आंखों में,
बारिश की पुकार है।

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20 APR AT 19:56

हस्सास हूं मैं , तो इसमें आख़िर हर्ज़ क्या है,
तुम्हीं बताओ ख़ुद के लिए मेरा फ़र्ज़ क्या है।

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17 APR AT 19:41

तुम्हें पता तो होगा,तुम कितनी खूबसूरत हो,
जीने की वजह हो,मेरी धड़कनों की ज़रूरत हो।

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17 APR AT 19:36

राम हृदय बसती हैं सीता,
सिया हृदय में राम समाए,
स्वयं भारी दुःख सह कर भी ,
दोनों अपना कर्तव्य निभाए।


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15 APR AT 22:50

जिंदगी तू कभी ,
जरा मुस्करा भी दे,
अमिट खुशी के गीत,
मेरे लिए गा तो दे।

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15 APR AT 22:42

कोई शिकवा,
कोई शिकायत नहीं,
अब कुछ कहने,सुनने की,
कोई चाहत भी नहीं।

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14 APR AT 20:47

मुझे देख बताओ तो,तुम भला क्यों शर्माती हो,
बोलती कुछ नहीं,बस मुस्करा के रह जाती हो।

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14 APR AT 20:43

फूलों सा महकता रहे ,
ये अमिट रिश्ता हमारा,
निस्वार्थ प्रेम और त्याग से ,
इसे हमने है संवारा ।

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13 APR AT 19:48

वो देखो सतरंगी इंद्रधनुष कितना प्यारा है,
इनके रंगों सा ख़ूबसूरत संग हमारा है।

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13 APR AT 19:41

किसी के नक्श का ख़ुद पर इतना भी असर मत डालो,
कि ख़ुद के नक्श का नामों निशा मिटा डालो।

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