अनदेखा कर हमें ,वो ,सबसे मुस्करा के मिले,
मुकद्दर के अब तलक जारी थे शायद सिलसिले।-
भूले नहीं हैं हम,
हर रोज़ याद करते हैं,
ये बात और है कि,
जुबां से नहीं कहते हैं।-
ख़्वाब और हकीक़त में,
फ़र्क हुआ करता है,
दिल न टूटे किसी का,
बस दिल ये दुआ करता है।-
ग़फ़लत में न रहना,रखना थोड़ी सी होशियारी,
मीठी बातों के पीछे अक्सर छिपी होती है मक्कारी।-
बरसों बाद मिले हो,तुम तो ईद का चांद हो गए,
हम पुकारते रहे तुम्हे,तुम न जाने कहां खो गए।-
जाना ही था ,तो तुम ,
बेशक चले जाते,
मेरी वफ़ा को यूं न आजमाते,
कम से कम दिल तोड़ने की
वाजिब वज़ह तो बताते।-
एक मोड़ पर आकर रुक सी जाती है जिन्दगी,
बदल जाती हैं ख्वाहिशें और पसंदगी,
समझ आने लगती है जिन्दगी की हकीकते,
सुकून देती है बड़ा तब, उस रब की बंदगी ।-
उनके होठों पर बेहद हसीन तबस्सुम खिले,
नजरें उनकी जब भी हमारी नजरों से मिलें।-
तय करना है ,
ज़िन्दगी का सफ़र,
सिर्फ़ तुम्हारे संग
बिन तुम्हारे अब,
ये सारे रंग,
लगते है बेरंग।
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