अब कहाँ है सादगी प्यार में...
और वफादारी यार में...
लोग *मिस यू* भी बस आदतन कहते हैं...
सच्चाई कहाँ किसी की बात में.. 💔-
यूँ ही नहीं टूट जाते रिश्ते अचानक...
समय लगता है लम्हों को खोते खोते
वो जो *इतनी सी बात है* कहकर टाल दिया था तुमने..
वो *इतनी सी बात* हो गई कई बार होते होते😊-
आँसू बह जाते हैं उसकी याद में..😔
वो बगल में बैठकर फोन चलाता है...🙂-
करके खाक वो मुस्कुराने को भी कहते हैं..
फिर जले हुए दिल से वो
शमा जलाने को भी कहते हैं..💔-
कभी कभी गद्दी पर बैठते नहीं...बिठा दिया जाता है...
जरूरत पिता की थी कि अब बेटा संभाले धंधा...
और बच्चे की काबिलियत को दबा दिया जाता है...
मजबूरी थी किसीकी या कर्तव्यपरायणता ...
मगर फिर भी इसे एहसान रूप में जता दिया जाता है...-
उस नास्तिक ने एक दिन पूछ ही लिया..
"कहाँ है तेरा भगवान?"
मुस्कुराकर उसकी नादानी पर...
मैंने मेरे पापा की
तरफ इशारा कर दिया...-
तैयार हैं हम दिल का सब हाल बताने को..
उसने कभी पूछा ही नहीं - "कैसी हो?"-
उसने अब झूठ बोलना छोड़ दिया है....
...
...
अजी.. हमने कुछ पूछना जो छोड़ दिया है😊-
स्त्री के घूँघट में ही तो
आदमी का अहम पलता है..
ये सम्मान का पैमाना नहीं है..
समाज की विफलता है..
बहुत ऐतराज़ होगा
कुछ लोगों को मेरी बातों का..
स्त्री की सुविधा से ज्यादा
आखिर उनके रुतबे का मसला है..-