Monika Bhatt   (मोनिका)
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Joined 19 May 2019


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Joined 19 May 2019
25 JUN 2022 AT 19:11

हो जाता है प्रेम तुम्हें देकर हर दफ़ा
ये हृदय मुझे रोग भले नहीं लगाता,

मैं इस शहर में पहले भी रहा हूँ कई दफ़ा
पर आज ये शहर तुम बिन मुझे गले नहीं लगाता|

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23 JUN 2022 AT 15:18

बहुत मुश्किल होता जा रहा था उसे समझाना हर दिन
फिर एक दिन मैंने खुद को समझा लिया|

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22 JUN 2022 AT 10:45

हमेशा नहीं पर कभी तो मेरा कहा मान लो ना,
दूसरों की आंखों पर पहनाई पट्टी उतारकर
कभी अपनी आंखों से मुझे जान लो ना,
जल्दी में तो तुम हमेशा रहते हो पर
कभी ठहर कर फुर्सत से मुझे पहचान लो ना|

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22 JUN 2022 AT 10:43

अपने हृदय से तुम्हारी तस्वीर को अलग इस तरह किया मैनें
जैसे कर्ण ने अपने शरीर से अलग किए थे "दिव्य वस्त्र"|

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22 JUN 2022 AT 10:41

ख्यालों को थोडा़ सा बाजू रखते हैं
चलो आज बिखरे कमरे को समेटते हैं|

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22 JUN 2022 AT 10:35

सब कुछ याद रख उसकी राहों में जाती हूँ मैं
पर उसे देख कुछ ना कुछ भूल जाती हूँ मैं|

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22 JUN 2022 AT 10:33

उसे देख कहाँ ये मन होश में रहता है
चाहते हैं जिससे हम कि संभाले हमें वो|

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22 JUN 2022 AT 10:30

आज बिना वजह खिलखिलाते हुए
तेरी बहुत याद आई,
लीचीयों के बगीचे से गुजरते हुए
तेरी बहुत याद आई,
काफलों का मीठा रस भरा स्वाद लेते हुए
तेरी बहुत याद आई,
दो प्रेमियों के हाथों में हाथ डाले हुए
तेरी बहुत याद आई,
दिन भर भरी महफ़िल में होते हुए
तेरी बहुत याद आई,
शाम बस का सफ़र करते हुए
तेरी बहुत याद आई,
घर के अंदर कदम रखते हुए
तेरी बहुत याद आई,
अंधेरे कमरे से डरते हुए
तेरी बहुत याद आई,
खाली कमरे के सुनेपन को सुनते हुए
तेरी बहुत याद आई,
तन्हाई में चार मोती बहाते
तेरी बहुत याद आई,
रोते रोते तकिये को भीगो कर सो जाते हुए
तेरी बहुत याद आई|

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22 JUN 2022 AT 10:29

मेरी मुस्कुराहट से वो बैर रखते हैं,
मेरे अलावा वो सबकी खैर रखते हैं,
जो अंधेरों में चलते थे हाथ थामे "साथी" का
अब महफ़िलें अपनी रोशन मेरे बगैर रखते हैं|

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22 JUN 2022 AT 10:28

मेरा हाथ कुछ देर थामे रहना तुम
क्योंकि इस राह
मैं चलूँगी दोबारा फिर नहीं,

तेरे शहर में तेरा थोड़ा समय चाहिए मुझे
क्योंकि इस बार
मैं मिलूँगी दोबारा फिर नहीं|

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