जाओ ढूंढ लाओ नदियाँ पर बेहता हुआ कोई घर
जिसके ऐक जगह रुकने की कोई संभावना ना हो
संग बैठ हम चल देंगे इस पार से उस पार
सूर्य के छिपने की भांति ही छिपा लूंगी
मैं अपनी सारी उदासी,
और तारों भरी रात से मांग लूंगी
अपने हिस्से का सवेरा !!-
ये मेरा खुद पर यकीन है ।।
मुझे अपना लिखा हुआ संभालना था
ये मैं कहां लोगो का कहा हुआ संभाल रही हूं !!-
अधूरे से जज़्बात
अधूरी सी हर बात
नासमझ सी ख्वाहिशें
खुद को बहलाते आप !!— % &-
।। मैं कितना भी कर लूं बाबा
मुझसे वो अनाज के दाने नहीं चुकाये जाते
जो भरी दोपहरी में आपने काटे थे ।।-
इस बार जब तुम ख्वाब में आना ना मां
अपने साथ लाना वही नर्म आंचल और प्यार की थपकी
कि बहुत रातें बीती हम सोए नहीं !!-
मेरा गाँव,
हाँ मैं गाँव से हूँ और गाँव पर ही लिखती हूँ
लिखती हूँ कि वहाँ की मिट्टी की खुशबू मेरी सांसों में हैं
दादी का वो चरखा आज भी उस आँगन में हैं
बाबा की वो लाठी जिसको पकड़कर में अपने खेतों की पगडंडियों पर चलती थी
आज भी मेरे घर के किसी कोने में खडी है
आज भी वहां बारिश के बाद सोंधी सी खुशबू आती है
और वो भूतो वाला कमरा अब भी खाली है
सावन में आज भी वहां झूले डलते हैं
जिस पर बच्चे यूँ ही मचलते हैं
आज भी वहां चौपाले सजती हैं
और वो मूंछों वाले बाबा यूँ ही गरजते हैं
मंदिर में आरती और मस्जिद में अजान एक ही साथ होती है
सेवइयां और मिठाइयां यूँ ही बटती हैं
महीनों बाद भी मैं जाऊं मैं वैसे ही खिलती हूँ
हाँ मैं गाँव से हूँ और गाँव पर ही लिखती हूँ-
कितना आसान था हर मुश्किल से बच जाना
मां का पल्लू पकड़ना और पिछे छिप जाना !!-
जिस दर्द से तुम गुजरे नहीं
उस दर्द को बतलायें कैसे
यहां, वहां, कहां देखते हो
चलो मियां जाओ
तुमको समझाये कैसे !!-
सच है,
खुबसूरती के पैमाने पर नापी जाती है लड़कियां
अभी गुजरी है वो नज़रों के मापदंड से !!-
कुछ रिश्तों में माफ़ी नहीं होती
लेकिन तुम्हारा उनकी जिंदगी में होना
तुम्हारे बड़ेपन की निशानी है !!-