Dear girls,
Don't forget to tie a thread in your own hand this year, because you must know that you are the real protector of yourself. You are Shakti, the symbol of energy and strength. You have the ability to face challenges, fight with enemies and overcome This year you must promise to protect your own flame .-
सुनो
तुम नहीं जानते...
तुम कभी मेरे तकिया से पूछना
कि मेरे ग़म के भार कितने थे ... !-
Who am I ?
I am an ordinary girl, who is never become a priority for anyone. I am the girl, to whom people feigned love, made empty promises but at the time of choosing, they discarded me ! When the time was hard, they all left me alone by saying " it was God's plan. It's your ill destiny". I found no one beside me when I was fighting the battle of emotional dilemmas in the battlefield of my mind. I was left alone in my state, when I needed someone most. I often found myself standing alone in between the moving crowd helplessly.-
दो समझदार लोगों में होने वाला नादान प्रेम
दुनियां की सबसे ख़ूबसूरत घटना में से एक है ।-
लबों पर हँसी थी,
आँखों में उदासी थी ।।
सहमे हुए धड़कन थे,
लफ़्ज़ों में बेबसी थी ।।
शोर था, भीड़ थी मग़र
दिल में ख़ामोशी थी ।।
बयां न कर पाए जज़्बात
या शब्दों की बेकशी थी ।।
जब मिले थे हम आख़िरी बार
हाँ, दिल की मौसम कुछ ऐसी थी ।।-
चांदनी रात में, तारों की छांव में,
मैंने देखा है चांद को मुस्कुराते हुए,
तम की आगोश में, ख़ामोशी की लय में
मैंने देखा है ख़्वाबों को गुनगुनाते हुए ।।
जुगुनुओं की चमक में, पारिजात की पुष्प को
मैंने देखा है रोते - बिलखते हुए,
तंद्रा की बिस्तर पर देखा है मैंने प्रेम को
करवट ले ले कर सुलगते हुए ।।
-
आसूं कमज़ोरी नहीं, जज़्बातों की सरिता है,
निर्मल है हर धार उसकी, हर बूंद पविता है ।।
उतारा न गया हो जिसे वरक़ पर कभी ,
गिरता हुआ आसूं वह शब्द हीन कविता है ।।
हर भाव की अंत में ये जो झलक जाता है,
ये सिर्फ़ आंखों की पानी नहीं, इंसान की अस्मिता है ।।-
मैंने उन्हें कहा - " आप इतनी अच्छी कविताएं लिखते हैं, मेरे बारे में
कभी कुछ तो लिखिए!"
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा - " तुम शब्दों से परे हो! तुम पर कविता
नहीं काव्य रचा जा सकता है ... पर जो कुछ भी लिखा जाएगा हमेशा
अधूरा रहेगा !"
मैंने पूछा - " क्यों"?
उन्होंने कहा - क्योंकि तुम्हारे प्रेम की स्पर्श से मेरे शब्द खिल
उठते हैं ! तुम्हारे आगे मेरे मेरे शब्दों का कोई अस्थित्व नहीं है,
ठीक वैसे, जैसे ईश्वर के आगे इंसान के चढ़ावे का कोई मोल नहीं !-
किसी भी चीज़ का अति हो जाना, हद से ज्यादा हो जाना कभी अच्छा नहीं होता । जब खुशहाल जीवन में थोड़ा सा दुःख आता है, तो इंसान ईश्वर की शरण में जाता है, विश्वास और श्रद्धा के साथ माथा टेकता है, भोग चढ़ता है....
लेकिन जब दुःख हद से ज्यादा
हो जाता है तो एक धीरज की
बांध टूट जाती है। फ़िर इंसान
नहीं मानता किसी ईश्वर को,
फ़िर वह कभी नहीं जाता
उसके दर पर, फ़िर उसके
लिए मंदिर के अंदर बना
प्रतिमा भी बस एक
पत्थर बन रह जाती है ।।-