पुरी करने स्वय को जो अधुरीसी मैं जी रही थी अधुरे मेरे सपने थे अधुरी मेरी पहचान थी जहाँ न मैं थी नाही मेरा वजूद मिलना है मुझे खुद से अपने सपने, पहचान और वजूद के साथ हाँ,मुझे थोडी सी जिंदगी और चाहिए
गम के बादलों के छटने के बाद आया है यह होली का त्यौहार इसमें है खुशी के रंगों की बहार विगत वर्षों की आपदा को बिसरा खुशी से चहक उठा हर चेहरा उमंगों के रंगों से है यह ओतप्रोत शांति भाईचारे का है यह स्त्रोत लाए हर्षोल्लास हर घर आंगन कलुषित मन को धो बनाएं इसे पावन रंगों से भरा आपका जीवन हो करते हैं दुआएं होली पर हमारी आपको यही शुभकामनाएं