शून्य के पश्चात् भी,
कुछ शेष है
जो विशेष है!!!-
फिर जिंदगी एक करवट ले
और उसका सब कुछ बदल कर रख दे!
जिसे वो चाहे
वो किसी और की बाहों में हो,
जिसे वो देखने को तरसे
वो ज़माने से कहीं दूर गुम हो जाए,
जिसे वो सुनना चाहे
उसकी आवाज किसी वीराने में कैद हो,
खलती रहे कमी उसे भी
उस शख्स की जिसे वो शिद्दत से चाहे
मैं चाहती हूं, देखे वो भी चांद को
और हर रात तड़पे किसी की मोहब्बत
को और किसी के प्यार को!
|MONA|-
ना जाने आज आसमां से कैसी सौगात बरसी है
एक बेचैन रात मेरे गले आ लगी है
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एक बार फिर
कुछ चाहने की इच्छा है
दिल से तुम्हे पाने की इच्छा है
नाराज़ ना होना मुझसे मेरी जां,
क्योंकि तुम्हे एक बार फिर सताने की इच्छा है
तुमसे लड़ कर रूठ जाऊ
कुछ इस तरह से हक़ जताने की इच्छा है
यूंही बैठे रहें हम खामोश साथ मैं
इस खामोशी में फिर डूब जाने की इच्छा है
चार कदम से भी ज़्यादा
साथ चलू मैं तुम्हारे,
आखरी सांस तक साथ निभाने की इच्छा है
एक बार फिर.........
एक बार फिर.........
और एक बार फिर ......
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उथल-पुथल करती
मन को बेचैन
बेबस हो जाता है अक्सर आदमी
जब इनके घेरे में आता है।
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पर्यावरण के लिए हमें किसी कविता को लिखने की आवश्यकता नहीं है यह तो एक ऐसा विषय है जिसे हमे प्रायोगिक तौर पर करना बहुत ज़रूरी है, परंतु हम केवल किताबो पर ही अच्छी बाते लिख देते है।
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कोई उसका ज़िक्र भी करे तो,
मन के किनारों पर यादों का सैलाब उमड़ जाता है!!-
वर्णन करने की अभिलाषित हूं,
उन विलोचनों की।
जिन्होंने दुर्बल कर दिया है
इस मन को निर्नीमेष
उन विलोचनों में तिर्तिषा की-
तुम आकाशगंगा का केंद्र,
जिसके चारों ओर,
चक्कर लगाती,
सूर्य के समान मैं!!-
प्रेम भाग्य से मिलता है,
और भाग्य हमारे बस में नहीं।
अतः मैं अपने
अभागे प्रेम को स्वीकार करती हूं!!-