यूं ही नहीं चमक है चाँद में इस मुस्कान की ही साजिश है इसमें खुल्ली जुल्फ़े मुस्कान मद्धम मंद मंद खुली आंखें क्या काहने उस आसमान के जिसे देखने का जी नहीं करता तुम्हे देखने के बाद काला काजल क्या ही करेगा काला टीका भी नज़र लगने से नहीं बचा पायेगा
की अगर मोहब्त एहसास है तो वो सुन्दर एहसास हो तुम ख़ुशी अगर कही है तो तुम्हारे पास है की यू तो लडकिया सज़ती हैं सवारती है बिना कुछ किये सादगी का एहसास हो तुम की क्या तारीफ़ करे आपकी आँखों की जिन में डूबने का जी करता है या तुम्हरे checks की जिन्हे pull करने का जी करता है न ही हम लिख पाएंगे और न ही हमरे पास words है जो आपकी beauty ko describe कर सके... हम तो बस इतना कहेंगे की सम्हाल के रखना इस सादगी को जिसकी मिसाल हो तुम
Main aj bhi kal ki taraha Ummed mein tere aane ki tadpa hu iss taraha ki mujhe hosh na khud ka raha Baate hi baate hain teri Unn baato ko aake sun jraa Anaa na tu kal ki taraha Kyunki jaane na dunga main iss dafaa
Kahani jo hai meri rahi adhuri hai tere binaa....... Kyunki Main adhura hu tere bina
Kuch bhi nhi badla sab hai kal ki taraha Ik ummed mein har din jagha Ki kahi mil jaye tu Phirse ek dafaa...
इक मासुमियत भर के इस चेहरे में तुम मुस्कुराती हो ना जाने क्यों तुम हमे अपना दीवाना बनाती हो अजीब सी कश्मकश है ज़िन्दगी में जो तुमसे जरा सी दूरी हमे बड़ा तड़पाती है