Mohita 7860   (Mohita7860)
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मैं क्यों पीछा छुड़ाऊ इन गमों से ग़ज़लकारी इन्ही से आ रही है Mohita
Joined 23 August 2020


मैं क्यों पीछा छुड़ाऊ इन गमों से ग़ज़लकारी इन्ही से आ रही है Mohita
Joined 23 August 2020
19 DEC 2023 AT 21:41

हा, उसकी याद ने मुझको बड़ा मजबूर कर डाला।
मोहब्बत ने मुझे इस तरह से मा'ज़ूर कर डाला।

सभी के हो गए तुम क्यू हमारे हो नही पाए,
तेरी संग ए वफा ने दिल में है नासूर कर डाला।

मुझे कितनी मोहब्बत है ये तुम जानोगे आखिर क्या?
अरे तुमने तो मुझको खुद ही खुद से दूर कर डाला।

के रो ले चीख ले चिल्ला ले मेरा दिल सुनो लेकिन,
तुम्हारी जिंदगी से मैने खुद को दूर कर डाला।

मुझे ना बनना था अव्वल मुझे था आखिरी बनना,
मेरी इतनी सी हसरत ने मुझे रंजूर कर डाला।

हिजर की रात है और साथ तन्हाई का आलम है,
मिरी इस जिंदगी को तुमने है दीजूर कर डाला।

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1 DEC 2023 AT 20:33

चाहा दिल से जो भी हमने मिलते मिलते रह गया।
जैसे बाग का इक गुल जो खिलते खिलते रह गया।

हम तो साथ ही चले थे मंजिल के सफर को पर,
रास्ते में वो शक्स कही चलते चलते रह गया।

महफिल में मेहबूब बनाकर अगले दिन वो मुकर गया।
महफील ए रौनक को देख मैं बस रोते रोते रह गया।

उनकी जिंदगी में ऊला नही हम सनी बनना चाहते थे।
तबायफ आंखो से उनकी मैं बस मरते मरते रह गया।

यू तो जिंदगी में सबको सबकुछ हासिल नहीं मगर,
इक इश्क करीब था मेरे जो मैं करते करते रह गया।

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19 NOV 2023 AT 3:08

अब यहां पर कोई अपना होने वाला है नहीं
हो सकता है सोचा था पर होने वाला है नहीं

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19 OCT 2023 AT 22:47

सबके अपने अपने गम है।
हमारे तो फिर भी कम है।

यू तो समंदर की दुनिया में हकूमत है,
पर नदी कहती प्यास बुझती तो हम है।

कल तक जो हमदम हुआ करता था हमारा,
जरा देखो वो आज किसी और का सनम है।

मुस्कुराते हुए चेहरे दाबे रखते है गमों को,
और दुनिया कहती है इसे क्या रंज ओ गम है।

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18 OCT 2023 AT 1:07

मुझे खुश तो रहना होगा।
तू साथ हो ना हो ये गम तो सहना होगा।.......

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17 OCT 2023 AT 13:25

बदकिस्मत हूं बदकार नही।
मुकद्दर में भले ही प्यार नही।

तुम लाख लगाओ तोहमत मूझपर,
पर कोशिशों में मेरी कभी हार नही।

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12 OCT 2023 AT 1:37

मकान जिस का आला होता है,
वो फिर मन का काला होता है।

गांव में घर तो होते है,
पर उनमें अब जाला होता है।

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11 AUG 2023 AT 14:32

काश हमारी मुलाकात ना होती।
मुलाकात पे वो बरसात न होती।

भीगे ना होते गर हम उस बारिश में,
तो नसीब में ये गम की रात ना होती।

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11 AUG 2023 AT 0:32

एक गम से निकाला और दूसरे पर लाकर छोड़ दिया,
तुम्हारी मोहब्बत ने तो हमे तबाह करकर छोड़ दिया।

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2 AUG 2023 AT 0:35

गुफ्तगू-ए-यार हम बताए क्या?
हाल जो दिल का है वो सुनाए क्या?

हमने तो मान लिया है अपनी हकीकत को,
जो किस्सा दफ्न हो चुका है उसे दोहराए क्या?

इरादा करके आया था वो मुझेपे वार करने का,
जानते थे अंजाम अपना हम तो खुद को बचाए क्या ?

सवाल ये नही की वो बेवफा हुआ कैसे,
सवाल ये है की हम मोहब्बत अब भी निभाए क्या?

कुछ नही है दरमियान बस फासले है,
ये इस्तियार अखबार में अब छपवाए क्या?

तुम मोहब्बत पर मेरा मशवरा चाहते हो,
मुस्कुराती आंखो से समंदर छलकाए क्या?

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