हा, उसकी याद ने मुझको बड़ा मजबूर कर डाला।
मोहब्बत ने मुझे इस तरह से मा'ज़ूर कर डाला।
सभी के हो गए तुम क्यू हमारे हो नही पाए,
तेरी संग ए वफा ने दिल में है नासूर कर डाला।
मुझे कितनी मोहब्बत है ये तुम जानोगे आखिर क्या?
अरे तुमने तो मुझको खुद ही खुद से दूर कर डाला।
के रो ले चीख ले चिल्ला ले मेरा दिल सुनो लेकिन,
तुम्हारी जिंदगी से मैने खुद को दूर कर डाला।
मुझे ना बनना था अव्वल मुझे था आखिरी बनना,
मेरी इतनी सी हसरत ने मुझे रंजूर कर डाला।
हिजर की रात है और साथ तन्हाई का आलम है,
मिरी इस जिंदगी को तुमने है दीजूर कर डाला।-
चाहा दिल से जो भी हमने मिलते मिलते रह गया।
जैसे बाग का इक गुल जो खिलते खिलते रह गया।
हम तो साथ ही चले थे मंजिल के सफर को पर,
रास्ते में वो शक्स कही चलते चलते रह गया।
महफिल में मेहबूब बनाकर अगले दिन वो मुकर गया।
महफील ए रौनक को देख मैं बस रोते रोते रह गया।
उनकी जिंदगी में ऊला नही हम सनी बनना चाहते थे।
तबायफ आंखो से उनकी मैं बस मरते मरते रह गया।
यू तो जिंदगी में सबको सबकुछ हासिल नहीं मगर,
इक इश्क करीब था मेरे जो मैं करते करते रह गया।-
अब यहां पर कोई अपना होने वाला है नहीं
हो सकता है सोचा था पर होने वाला है नहीं-
सबके अपने अपने गम है।
हमारे तो फिर भी कम है।
यू तो समंदर की दुनिया में हकूमत है,
पर नदी कहती प्यास बुझती तो हम है।
कल तक जो हमदम हुआ करता था हमारा,
जरा देखो वो आज किसी और का सनम है।
मुस्कुराते हुए चेहरे दाबे रखते है गमों को,
और दुनिया कहती है इसे क्या रंज ओ गम है।-
बदकिस्मत हूं बदकार नही।
मुकद्दर में भले ही प्यार नही।
तुम लाख लगाओ तोहमत मूझपर,
पर कोशिशों में मेरी कभी हार नही।-
मकान जिस का आला होता है,
वो फिर मन का काला होता है।
गांव में घर तो होते है,
पर उनमें अब जाला होता है।-
काश हमारी मुलाकात ना होती।
मुलाकात पे वो बरसात न होती।
भीगे ना होते गर हम उस बारिश में,
तो नसीब में ये गम की रात ना होती।-
एक गम से निकाला और दूसरे पर लाकर छोड़ दिया,
तुम्हारी मोहब्बत ने तो हमे तबाह करकर छोड़ दिया।-
गुफ्तगू-ए-यार हम बताए क्या?
हाल जो दिल का है वो सुनाए क्या?
हमने तो मान लिया है अपनी हकीकत को,
जो किस्सा दफ्न हो चुका है उसे दोहराए क्या?
इरादा करके आया था वो मुझेपे वार करने का,
जानते थे अंजाम अपना हम तो खुद को बचाए क्या ?
सवाल ये नही की वो बेवफा हुआ कैसे,
सवाल ये है की हम मोहब्बत अब भी निभाए क्या?
कुछ नही है दरमियान बस फासले है,
ये इस्तियार अखबार में अब छपवाए क्या?
तुम मोहब्बत पर मेरा मशवरा चाहते हो,
मुस्कुराती आंखो से समंदर छलकाए क्या?-