Mohit Yadav   (Mohit Yadav)
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Joined 21 May 2019


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9 JUN 2022 AT 22:31

अब तेरे शहर की हवा में वो बात कहा
लगता है इश्क़ वाले परिंदे घोंसला छोड़ चुके

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30 MAY 2022 AT 22:32

सदियों से आरज़ू थी जिस प्यार की मुझे
अब जाके वो पूरी होने लगी है

मशग़ूल था उसके ख्यालों में मैं न जाने कब से
अब धीरे धीरे वो भी मुझमे खोने लगी है

न जाने किस ड़र से पर्दे में छिपी बैठी थी दूर मुझसे
खैर देर से ही सही अब वो बेपर्दा होने लगी है

बहुत तड़पा हूँ उसे पाने के लिए रात दिन
सुकून मिला कि अब वो मेरी होने लगी है

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31 JAN 2022 AT 2:21

ख़्वाब मेरे, जज़्बात मेरे, संग सारे अरमान मेरे
सबको एक पल में खा गए जालिम ये फ़रमान तेरे— % &

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24 APR 2020 AT 14:48

Root cause of depression is imagination
It drags you in the world of visualisation

You dream for the things you don't have at present
Your impatience develops an urge to get them urgent

Slowly your dreams get the wings to fly
And to make them reality you give it a try

Then negative results make you feel bad
Somewhere you knew it even then you become sad

This sadness develops an emotional irritation
Which further mashes your thoughts on your creation

Now, throughout the day, you think about those things
But can do nothing and feel like a bird without wings

People suggest that this can be treated with meditation
Believe me, nothing can help until you control your expectation

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9 JAN 2022 AT 23:34

जब तू सामने आती है...........
धड़कता है दिल, पर सांसे रुक सी जाती हैं
बहुत कुछ है कहने को जुबां कह नहीं पाती है
मचलता है मन और एक मदहोशी छा जाती है।
जब तू सामने आती है............

रात को सर्द हवाएँ तेरे होने का एहसास कराती हैं
तेरी वो प्यारी सी हंसी रूह को छू जाती है
मुझे खुशी है तेरे मिलने की, पर एक अजीब सा डर भी है
जब डर का पल आता है तो आँखे नम सी हो जाती हैं
जब तू सामने आती है..............

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26 MAR 2021 AT 9:53

यूँ कहने को तो सब सही है
पर बदला अभी कुछ भी नहीं है

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4 MAR 2021 AT 22:22

कुछ हदें बना ली इंसान ने हर रिस्ते में आजकल
'बेहद' वाला इश्क़ अब लापता सा हो गया है

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18 FEB 2021 AT 22:38

धीरे-धीरे घटने लगी है अहमियत मेरी बातों की
शायद इसीलिए बदल रही है तस्वीर हमारी रातों की

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27 JAN 2021 AT 21:06

यूं तो वो मेरी बाज़ू में अपनी बाज़ू रखते हैं
पर न जाने क्यों हाथ में छुपा के तराजू रखते हैं

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21 JAN 2021 AT 0:50

आँखे नम, खामोश ज़ुबां और फड़फड़ाता दिल
इसी कसमकस में एक और रात बीत गयी

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