Mohit Singh Bhadouria   (मोहित मुंगेरी)
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Joined 26 January 2021


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28 DEC 2021 AT 15:04

मुझे दोबारा वक्त मिला है,
ज़िन्दगी बदलने के लिए।

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27 JUL 2021 AT 7:58

ठकुराईन ने चूड़ियां बदली है,
लगता है सावन आ गया।

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24 JUL 2021 AT 12:14

ठहरो,सुनो
अब तुम हरी चूड़ियाँ पहन लो ना,
मैं कई माह से सावन का इंतज़ार कर रहा हूँ।

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9 JUN 2021 AT 17:11

रोज़-ए-निकाह तुम रति हो जाना,
मैं बनूँ शिव,तुम पार्वती हो जाना।

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14 MAY 2021 AT 17:06

इश्क़ को आपके मैं इक़रार करता हूँ,
हाँ,मैं भी आपसे सच्चा प्यार करता हूँ।

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9 MAY 2021 AT 20:08

ज़मीं पर मुर्झा रहे हैं फूल,
फुनगी से लगी इतरा रही कली।

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5 MAY 2021 AT 17:22

इस ज़माने को कर्ज़ देने आया हूँ,
मैं,
फिर अश'आर पेश करने आया हूँ,
मैं।

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6 APR 2021 AT 18:17

तुमने किसी ग़ैर को जो चूमने की कोशिश भी की तो,
बनकर सर्द पवन मैं तुम्हारे होठों को ख़ुश्क कर दूंगा।

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26 MAR 2021 AT 13:22

तुम्हारे साथ मरने का मैं वादा कर नहीं सकता,
तुम्हारे साथ जीते-जी ज़ुल्फ़ों को रंगूँगा मैं।

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24 MAR 2021 AT 15:36

एक तरफ़।
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सारी सृष्टि एक तरफ़,
मेरी दृष्टि एक तरफ़।
सबसे मिलना एक तरफ़,
तुममे ढ़लना एक तरफ़।
सारी रातें एक तरफ़,
तुमसे मुलाक़ातें एक तरफ़।
सबका सजना एक तरफ़,
तुम्हारा कंगना एक तरफ़।
दुनियाँ अनूठी एक तरफ़,
तुम्हारी अँगूठी एक तरफ़।
सारी मज़बूरी एक तरफ़,
तुमसे ये दूरी एक तरफ़।
सारी गीता एक तरफ़,
तुम्हारी कविता एक तरफ़।
सारी हस्ती एक तरफ़,
तुम्हारी बस्ती एक तरफ़।

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