Mohit Sawarni   (MS)
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Joined 14 September 2018


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Joined 14 September 2018
27 AUG 2022 AT 14:37

ज्ञान, त्याग और दया के स्वामी,
मुरलीधर मैं तेरो पुजारी,
आओ कभी तुम मोरे नगरिया,
वो मोरे कुंजबिहारी ।।

कभी तो मोरे नैना देखे,
कभी तो छू लू चरण तुम्हारे,
जीवन ना यह वर्थ जाए,
थाम लो मोरे बृजबिहारी।।

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24 AUG 2022 AT 23:49

तुम्हे देखते हुए बीत गए कितने लम्हे,
पर इज़हार कभी हम कर ना पाए,
कमल जैसे किताब में पड़ा रह गया,
तुमसे दो मीठी बातें भी कर ना पाए ।।

कितने ऋतु बीत गया,
पर भटकता रहा तेरे पास मैं,
संवत बदला, सरकारें बदला,
पर जज़्बात वही ठहरा रह गया ।।

मिला नज़र तुमसे पहली दफा,
मोहित हो गया दिल मेरा,
तुम्हे पाने की हसरत नही मुझे,
मैं तो ख़ुद खोया हूं तुझमें ।।

यह तेज़ दुनिया है, ज़रा धीरे चला मैं,
पर सुकून बहुत मिला तेरे दीदार से मुझे ।।

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28 APR 2022 AT 18:01

आने भी नही देती करीब वो,
जुदा भी नहीं करती है वो,
नजरंदाज भी करती है वो मगर,
ख़ामोशी से नज़र भी रखती है वो ।।

ऐसा नहीं की खफा है मुझसे वो,
बस इज़हार नहीं करती है वो,
बहुत नादान है वो मगर,
सारे जज़्बात मेरी समझती है वो ।।

चाहती है मेरे साथ रहना वो मगर,
इन बातो को अंदर दबाए रखती है वो,
मोहब्बत तो करती है वो मगर,
मुझे बताना ही भूल जाती है वो।।

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28 APR 2022 AT 17:57

एक उम्र के बाद मिले थे हम दोनो,
एक उम्र तो साथ रहना चाहिए ।।

अनन्या विपत्ति आएगी हमारे दरमिया,
पर हमारी साथ नहीं छूटनी चाहिए।।

मोह कैसा भी हो छूट जाती है,
पर मोहब्बत तो उम्र भर होनी चाहिए ।।

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27 APR 2022 AT 12:53

Gate no. 5 par yaado ko sanjoye tha mai,
Iss zaha mai kahi rhe,
woha se rishta jode tha mai.

Budh, gandhi, magadh se nata h purana,
Jab kabhi woh yaad aaye,
Ek dafa jata hu mai yeha .

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27 APR 2022 AT 12:48

आज उसको देखा मन भर के देखा,
मन भटक गया ये सोच कर,
हमने उसको पहले क्यूं नहीं देखा।।

काला, नीला और सफेद की काया ओढ़े थी वो,
एक चोटी गज़ब की, जिसमे मुझे बांधी थी वो।।

दोस्तो के संग जा रही थी,
मैं देखा पर कुछ कह ना पाया,
पुराने वादे याद आ गए,
बस खामोशी से देखता रह गया ।।

इक तरफ़ मैं था, वो उस तरफ चली गई,
कुछ पल में गाड़ी में बैठकर, आंखो से ओझल हो गई।।

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22 APR 2022 AT 20:26

अनन्या बातों में उलझे हुए,
ख़ामोश लबों से बाते करती है,
दिल में रहती है वह मगर,
सब्र की पाठ भी पढ़ाती है ।।

इक पल भी ना गुजरी है मेरी,
उसके जुल्फों के छावो में,
पर कोई पल ना बीता है ऐसा,
जब किया ना हो मिलन का फरियाद ।।

मोहित कर जाने को,
काफ़ी है उसके दो बोल,
दुआ बन जाती है दावा मेरी,
जब करती है मिलन की बात ।।

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22 APR 2022 AT 20:22

अपने मां से छुपा के बातें करने आती थी,
अल्फाज़ में कितना बोलता था मगर,
जज़्बात शायद ही समझ पाती थी ।।

सुना देता था कभी उसके ना आने पर कई बातें,
वो ख़ामोश हो जाती थी मगर,
साथ हमेशा निभाती थी ।।

जेठ की गर्मी भी जलाती नहीं थी,
जितनी तपिश उसके ना आने पर होती थी,
उसके बातो से झलकते थे मिठास ऐसी,
उसके मिलने पर तो मुझे अमृत मिल जाती थी ।।

वो छुप कर आती थी मगर,
जगह मेरे दिल में कर जाती थी,
प्यास मन का रहता था मगर,
रूह को सुकून वो दे जाती थी ।।

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22 APR 2022 AT 20:12

वक्त मेरा खफा है,
कोई मंज़िल अभी पास नहीं,
दूर क्षितिज पर तुम खड़े,
मिलन की फिर भी आश सजी ।।

ख़ामोश लब तेरे, बेचैन कर दिए है,
एक नज़र के चाह में देखो,
कितने जतन हम कर दिए है ।।

कि मिलन ना होगी इस जन्म में,
तो अगले जन्म तो आज़माना,
जब-जब सांसे मिलेंगी इस धरा पे,
तुम तो एक झलक दिखलाना ।।

अनन्या एहसास दिल में रह जाते है,
तुम तो मेरे जज़्बात समझना,
ख़ामोश यू हो जो बैठे तुम,
इन इशारों को क्या समझना ।।

अनन्या मोह जुड़ी है तुझसे,
अब बिछड़ने का क्या फ़ायदा,
कि देर से आया तेरे करीब मगर,
यह एहसास तो है पुराना ।।

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22 APR 2022 AT 20:08

किसी को काजल ने तो, किसी को पायल ने रोका,
यह अनन्या-मोह है, जिसके इश्क़ में हूं लिपटा ।।

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