मैंने निभाया है हर रिश्ते को ईमानदारी से
यकीन मानो कुछ नहीं मिलता इस वफादारी से-
किसी ने बचपन में चलना सिखाया
तो किसी ने वक्त के साथ ढलना सिखाया
किसी ने बोलना सिखाया
तो किसी ने विपरीत परिस्थिति में चुप रहना सिखाया
किसी ने सही ग़लत का एहसास कराया
तो किसी ने सच झूठ का पाठ पढ़ाया
किसी ने दीपक की तरह जलना सिखाया
तो किसी ने खुद जलकर दूसरों को रोशनी देना सिखाया
किसी ने जीवन क्या है ये बताया
तो किसी ने जीवन जीने का गुण सिखाया
मैं आज जो हूं जैसा हूं मुझे ऐसा मेरे वक्त ने बनाया
गुरूर ए मगरूर इंसान गुरु बिन ज्ञान कोई नहीं पाया-
आज के ब्लैक एंड व्हाइट के जमाने में अपने बच्चों को पढ़ाने में और सरकारी नौकरी दिलाने में बड़ी मेहनत करनी पड़ती है
आज के ब्लैक एंड व्हाइट के जमाने में कम उम्र में पैसा कमाने में घर से दूर जाने में बड़ी मेहनत करनी पड़ती है
आज के ब्लैक एंड व्हाइट के जमाने में अपनों से रिश्ता निभाने में घर की जिम्मेदारियां उठाने में बड़ी मेहनत करनी पड़ती है
आज के ब्लैक एंड व्हाइट के जमाने में रूठे अपनों को मनाने में छोटी मुश्किलों को निपटाने में बड़ी मेहनत करनी पड़ती है
आज के ब्लैक एंड व्हाइट के जमाने में किसानो को खेती करवाने में अपनों के बीच इज्जत कमाने में बड़ी मेहनत करनी पड़ती है
आज के ब्लैक एंड व्हाइट के जमाने में घर से दूर जाने में लड़कियों से बतियाने में बड़ी मेहनत करनी पड़ती है
आज के ब्लैक एंड व्हाइट के जमाने में घर और मकान बनवाने में अकेले कमा कर सबको खिलाने में बड़ी मेहनत करनी पड़ती है
आज के ब्लैक एंड व्हाइट के जमाने में लड़कियों को पढ़ाने में बेटों समान अधिकार दिलाने में बड़ी मेहनत करनी पड़ती है
आज के ब्लैक एंड व्हाइट के जमाने में खुद को सफल बनाने में रोहिल्ला दिल पर लगी भुलाने में बड़ी मेहनत करनी पड़ती है-
ये दिल अगर किसी का दीवाना हो जाता
तो आज़ इश्क का भी एक पैमाना हो जाता
भरी महफ़िल में जो बैठे है अलग अंदाज में
उनके लबों से कोई ख़ुशनुमा गाना हो जाता
कर लीं निग़ाहें नीची उफ़ क्या अदा है हुस्न की
नज़रों का इश्क से एक बार आशिकाना हो जाता
खड़े कब से दिल ज़लों की कतार में है वो
किसी तरह उनका इस तरफ आना हो जाता
मासूमियत उनकी घायल कर देती है दिल को
आंखों की शोखियों का गर इतराना हो जाता
गेसुओं को झटका कुछ बूंद गालों पर आ गिरी
मोतियों को समेटने का कोई बहाना हो जाता
हुस्न वाले कभी खुल कर खिलखिलाते क्यूं नहीं
लबों को खिलते देखकर कुछ मुस्कराना हो जाता
लिख रहा है ग़ज़ल आज दर्द के तरन्नुम में रोहिल्ला
काश कहीं ऐसा होता इन आंखों का वीराना खो जाता-
इतनी नज़दीकियों को तोड़ कर बता तुझको क्या मिला
रिश्तों के पुल अधूरे छोड़ कर बता तुझको क्या मिला
ये ढोल टप्पे और रेवड़ियों मूंगफलियों की आहुति
चलते नाच में मेरा हाथ छोड़ कर बता तुझको क्या मिला
मेरी दी हुई शाल उतार कर तुमने यूं मंजी पर रख दी
पीठ पर पोह की ठंड ओढ़ कर बता तुझको क्या मिला
लपटों की रोशनी में तेरी आंखें पढ़ रहा था मैं तन्हा खड़ा
सहेली की तरफ मूंह मोड़ कर बता तुझको क्या मिला
हमारी भी जोड़ी बनती आज लोहड़ी हमारी भी होती
रोहिल्ला के सुनहरे सपने तोड़ कर बता तुझको क्या मिला-
काल एक छोरी सरेआम बोली रै न्यू
मेरे आले तै के लेणा वो तो खावै सै घू
क़ैद फोन मै रै होग्या भाई सारा चित्र
चाहे उढ़ ज्यो कबूतर पर डटदे नी मित्र
ओहदे का रोब दिखावै था भाई
थी चहिए करेटा के हाल सै भाई
वीडियो वायरल होया जेल कै भीतर
चाहे उढ़ ज्यो कबूतर पर डटदे नी मित्र
स्कूल मै भेजै था एक का रै बाबू
छोरा काट ग्या रै कनि आया नहीं काबू
रोहिल्ला मोहित क्यूं होरया तीतर भीतर
चाहे उढ़ ज्यो कबूतर पर डटदे नी मित्र-
कसम देकर तोड़ जाते है छोड़ने वाले
हाल बेहाल कर छोड़ जाते है छोड़ने वाले
तसव्वुर भी नहीं करते कि कैसे होंगे वो
जिन्दगी को ऐसे मोड़ जाते है छोड़ने वाले
किसे याद रहती है वो जिंदगी प्यार की
अक्सर तन्हा छोड़ जाते है छोडने वाले
आखिर क्यूं कोई प्यार पर एतबार करें
कमबख्त एतबार तोड़ जाते है छोड़ने वाले
खाते थे कसमें जो कभी संग जीने मरने की
मौत से भी बत्तर छोड़ जाते है छोड़ने वाले
रोहिल्ला उसने रुकसत भी नहीं ली हमसे
बस ऐसे सवालात छोड़ जाते है छोड़ने वाले-
हाथों में कंगन कानों में बाली
माथे पर बिंदी होंठों पर लाली
बदन पर साड़ी गोरे गोरे गाल
आंखों पर चश्मा खुलें हों बाल
एक हाथ पर्स एक हाथ मोबाइल
कहर ढाना हो तो लबों पर स्माइल
और एक क़लम कागज़ पर टिकने के लिए
रोहिल्ला शायद इतना काफी है कुछ लिखने के लिए-