क्या ही मिला इतना समय लेकर बताने में
की मैं तेरे लायक न था, तू मुझे बस अपने अकेलेपन को दूर करने का एक जरिया मानती थी !
हां मैं एक इनतिखाब था तेरे जीवन का मगर तेरे खालीपन को दूर करने के लिए
क्यों ही इतना फर्जी अपनापन का ढोंग रचा है तूने मुझसे मोहब्बत करने का की पल भर में मैं कौन और पलभर में मैं सबकुछ हो जाता हूं!
अब बस चली जाओ जल्द से जल्द उस खुशकिस्मत के पास जो तुम्हे तुम्हारी हर खुशी दे सके और उसे तुम अपनी रूह से मोह्हबत कर सको,
जिसके साथ हर पल जीना अच्छा लगे ना की हर पल की घुटन मिले जो मेरे साथ मिलती थी ।
तुम अपने सपने सजाने में मसरूफ़ थे और मैं तू वो पूरा कर ले इसकी खुशी के इंतजार में
लेकिन क्या तू मुझे और मेरे हर पल की बेचैनी, तेरी खुशी, तेरा हसना, तेरा सबकुछ पा लेना के इस सफर में भूल जायेगी ये मुझे पता न था,
खैर अब तो हमारी नुमाइश करने का कोई मतलब भी ना बनता है और न तुम्हे याद होगा की कभी तुम मुझे साथ देते थे और कभी मुझसे साथ मांगा करते थे,
अब तो बस याद आती है तो बस तेरा खुदके सपने सजाने में मसरूफ़ रहना और मेरा ये सोचना की तेरे सपने पूरे करने में मेरा हिस्सा तेरे जान में बस सा जायेगा, लेकिन वो हिस्सा तो दिल और दिमाग से निकल चुका है ।।
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