Mohit Mishra   (मोहित मिश्रा ''अचल'')
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प्रयाग
बिस्मिल,भगत,सुखदेव
जी के आदर्शों की ओर
Joined 22 September 2018


प्रयाग
बिस्मिल,भगत,सुखदेव
जी के आदर्शों की ओर
Joined 22 September 2018
5 APR AT 22:28

ये मान कर चलता हूँ मैं |
कभी भी 'मर' सकता हूँ मैं ||

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17 MAR AT 0:29

छीन के सुख की चादर क्यूँ|
दुःख का अंबार थमाये राम ||

अंखियन का जो चैन लुटा |
क्यूँ बोझ तले हो दबाए राम||

मुस्कनियाँ अब न झिनी रही |
कांटो का सेज सजाये राम ||

घुटता मन और छूटता तन |
का करि सन्तोष बताएं राम ||

न. भोर भई न रात गई |
ई कइसा अंधियार दिखाए राम ||

थी जो एक प्यारी भगीनी हमारी |
वह नाता क्यूँ छुड़वाए राम ||

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5 JAN AT 19:11

पल-पल हँसना रोना क्या ?
पलकें खूब भिगोना क्या ?

घर की चुलबुल चली गई |
क्या पाना अब खोना क्या ?

हर रात काटने को दौड़े |
सूरज की बाट जोहना क्या ?

किरण रौशनी प्यारी बहना |
अब शोक के संग रहना क्या ?

क्यूँ ऐसी काया पलटी तूने |
बस यादों को सँजोना क्या ?

हे महादेव ये क्या अनर्थ है |
अब घिस-घिस चंदन धोना क्या ?

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31 DEC 2023 AT 21:06

क्या पता था ?
अब आपके बिना जीना पड़ेगा
जीना पड़ेगा बस याद के सहारे
क्या पता था ?
लुट जायेगा एक रात बहुत कुछ
छिन जाएंगी खुशियां
क्या पता था ?
तिल तिल कर रोना
पलकें भिगोना
क्या पता था ?
कसक रहेगी मन में
अधूरे रह जायेंगे ख्वाब
क्या पता था ?

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26 OCT 2023 AT 0:21

मनमीत हो मेरी |
तुम गीत हो मेरी ||
हार का दरिया नहीं |
तुम जीत हो मेरी ||

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30 AUG 2023 AT 23:08

इस हाथ में जब राखी की एक डोर बांधती
बांधती वो उम्र दीर्घ का पुरजोर बांधती

एक प्यारी सी मुस्कान लिए कहती है बहना
तुम्हारी कुशलता को मैं हर ओर बाँधती

जीवन मे सफल होना तुम आशीष है मेरा
एक सूत्र में बहना मेरी हर एक नूर बाँधती

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18 AUG 2023 AT 10:44

दुनिया मे हर रोज अरबों तस्वीरें ली जाती हैं
लेकिन उनमे से जिंदा कितनी हैं ?

यानि की उस तस्वीर मे कोई संदेश है/संचार (रोजमर्रा के संघर्ष) जो हमसे कुछ कहना चाह रहा है

या वो महान तस्वीरें क्या हमेशा के लिए जिन्दा रहेंगी ।

रघु राय की मानें तो- मै आपको कैमरा तो दे सकता हूं, लेकिन जीवंत फोटोग्राफी के लिए आपके भीतर वो दर्शन नही पैदा कर सकता । सही भी है ।

शायद ही आने वाली पीढिया विश्वास करें या सुबूत मांगे ।
कि इस युग मे वो सभी लोग लोग हैं ।

गांधी जैसे जिन्हें तुम प्यार करते हो, बियर ग्रिल्स जैसे जिन्हे जानते हो, विवेकानन्द जैसे जिन्हे सुनते हो, जितने भी मनुष्य आधुनिक समय मे हुए हैं ।

हमारी ख़ुशी, हमारी वेदना, हमारे धर्म, विचार, मत, शिकारी, नायक, कायर, सभ्यताओं को बनाने और बिगाड़ने वाले, राजा और किसान, प्यार में डूबे युवा, प्रत्येक माता-पिता, आशावान बच्चे, वैज्ञानिक और खोजें, नैतिकता के शिक्षक और भ्रष्ट नेता, हर एक सुपरस्टार और महान नेता, हर संत और पापी

जितने भी प्रभावशाली लोग और करिश्माई घटनाएं । रोमांचित कर देने वाले क्षण हुए हैं हुए हैं ।

हमारे पास है क्या ? हम उन्हे विश्वास दिला सकें कि जो हुआ था वो ऐसा था !

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28 APR 2023 AT 23:20

क्रोध , तृष्णा से जो रहित जिया|
वह राधेकृष्ण के सहित जिया||

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14 MAR 2023 AT 16:12

अपना एक
परिवार भरी पूरी
दुनियां से बड़ा होता है

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24 FEB 2023 AT 9:39

पिता पर अगर आपने ये
ये कविता नहीं सुनी तो
क्या सुना 🤭

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