दुनिया मे हर रोज अरबों तस्वीरें ली जाती हैं
लेकिन उनमे से जिंदा कितनी हैं ?
यानि की उस तस्वीर मे कोई संदेश है/संचार (रोजमर्रा के संघर्ष) जो हमसे कुछ कहना चाह रहा है
या वो महान तस्वीरें क्या हमेशा के लिए जिन्दा रहेंगी ।
रघु राय की मानें तो- मै आपको कैमरा तो दे सकता हूं, लेकिन जीवंत फोटोग्राफी के लिए आपके भीतर वो दर्शन नही पैदा कर सकता । सही भी है ।
शायद ही आने वाली पीढिया विश्वास करें या सुबूत मांगे ।
कि इस युग मे वो सभी लोग लोग हैं ।
गांधी जैसे जिन्हें तुम प्यार करते हो, बियर ग्रिल्स जैसे जिन्हे जानते हो, विवेकानन्द जैसे जिन्हे सुनते हो, जितने भी मनुष्य आधुनिक समय मे हुए हैं ।
हमारी ख़ुशी, हमारी वेदना, हमारे धर्म, विचार, मत, शिकारी, नायक, कायर, सभ्यताओं को बनाने और बिगाड़ने वाले, राजा और किसान, प्यार में डूबे युवा, प्रत्येक माता-पिता, आशावान बच्चे, वैज्ञानिक और खोजें, नैतिकता के शिक्षक और भ्रष्ट नेता, हर एक सुपरस्टार और महान नेता, हर संत और पापी
जितने भी प्रभावशाली लोग और करिश्माई घटनाएं । रोमांचित कर देने वाले क्षण हुए हैं हुए हैं ।
हमारे पास है क्या ? हम उन्हे विश्वास दिला सकें कि जो हुआ था वो ऐसा था !
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