उसकी बातो से लगता था यह लम्हा कही नहीं जायगा ....
जब बाहो में उसने लिया था तो कहता था मेरा साथ तुझसे दूर नहीं जायगा ....
जब उसने हाथो में हाथ रखा था तो लगा दुनिया की सारी लकीरे मेरे हाथो में देदी ...
पर पता नहीं वो लकीरे मिट गई या बदल गई ....
लेकिन हां बो लकीरे भी उसकी तरह हसीं थी ...
आज भी उसका फोन अता है तो बो लकीरे याद आ जाती है...बस महसूस नहीं होता तो बो हे तेरा साथ .....🙂-
तुम्हारे बाद हसने की महफिले तो सज जाती है लेकिन रोने के लिए तुम्हारा वो कन्धा बहुत याद आता है यार ....
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जब तुम्हे मोहोब्बत नहीं थी तुम तब भी झूट बोलते थे और हम सच ....और.....
अब तुम्हे मोहोब्बत हो गई है तब भी तुम झूट बोल रहे हो और हम सच ....-
..........में और आप ..................
...........तेरा मेरा साथ ......... ........
...........बात और आप ....... .........
...........दिल और जज्बात ..............
......रूह का इश्क़ और उस पर नाज ....
......नजाकत और शरारत ..............
......तू और मेरा तेरे लिए प्रेम ............
......जैसे खुदा की इबादत ...............
..............और तुम .......................
....खुदा कसम बहुत याद आते है ....-
तेरी रबायतो से ...
तू तो बदलने से रहा मेरी चाह की इनायतो से.....-
उम्मीदें भी कितनी अजीब है ना ....
पहले इंसान तोड़ता है फिर उम्मीदे इंसान को ही तोड़ देती है ।।।।-
जिसने हमे अंदर से जार जार करके तोड़ दिया वो आज कल हमारे ऊपरी जख्मों पर चिंता जाता रहे है .....MKS
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