Mohit Kumar Singh  
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Joined 11 June 2017


Joined 11 June 2017
8 JAN AT 23:54

रुख़्सत हुआ तो आँख मिला कर नहीं गया ,
वो क्यूँ गया है ये भी बता कर नहीं गया ।

वो यूँ गया कि बाद-ए-सबा याद आ गई,
एहसास तक भी हम को दिला कर नहीं गया ।

यूँ लग रहा है जैसे अभी लौट आएगा ,
जाते हुए चराग़ बुझा कर नहीं गया ।

बस इक लकीर खींच गया दरमियान में,
दीवार रास्ते में बना कर नहीं गया ।

शायद वो मिल ही जाए मगर जुस्तुजू है शर्त,
वो अपने नक़्श-ए-पा तो मिटा कर नहीं गया ।

घर में है आज तक वही ख़ुश्बू बसी हुई,
लगता है यूँ कि जैसे वो आ कर नहीं गया ।

तब तक तो फूल जैसी ही ताज़ा थी उस की याद,
जब तक वो पत्तियों को जुदा कर नहीं गया ।

रहने दिया न उस ने किसी काम का मुझे,
और ख़ाक में भी मुझ को मिला कर नहीं गया ।

वैसी ही बे-तलब है अभी मेरी ज़िंदगी,
वो ख़ार-ओ-ख़स में आग लगा कर नहीं गया ।

'शहज़ाद' ये गिला ही रहा उस की ज़ात से,
जाते हुए वो कोई गिला कर नहीं गया।

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8 JAN AT 23:46

रुख़्सत हुआ तो आँख मिला कर नहीं गया ,
वो क्यूँ गया है ये भी बता कर नहीं गया ।

वो यूँ गया कि बाद-ए-सबा याद आ गई,
एहसास तक भी हम को दिला कर नहीं गया ।

यूँ लग रहा है जैसे अभी लौट आएगा ,
जाते हुए चराग़ बुझा कर नहीं गया ।

बस इक लकीर खींच गया दरमियान में,
दीवार रास्ते में बना कर नहीं गया ।

शायद वो मिल ही जाए मगर जुस्तुजू है शर्त,
वो अपने नक़्श-ए-पा तो मिटा कर नहीं गया ।

घर में है आज तक वही ख़ुश्बू बसी हुई,
लगता है यूँ कि जैसे वो आ कर नहीं गया ।

तब तक तो फूल जैसी ही ताज़ा थी उस की याद,
जब तक वो पत्तियों को जुदा कर नहीं गया ।

रहने दिया न उस ने किसी काम का मुझे,
और ख़ाक में भी मुझ को मिला कर नहीं गया ।

वैसी ही बे-तलब है अभी मेरी ज़िंदगी,
वो ख़ार-ओ-ख़स में आग लगा कर नहीं गया ।

'शहज़ाद' ये गिला ही रहा उस की ज़ात से,
जाते हुए वो कोई गिला कर नहीं गया।

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8 JAN AT 19:56

रुख़्सत हुआ तो आँख मिला कर नहीं गया

वो क्यूँ गया है ये भी बता कर नहीं गया

वो यूँ गया कि बाद-ए-सबा याद आ गई

एहसास तक भी हम को दिला कर नहीं गया

यूँ लग रहा है जैसे अभी लौट आएगा

जाते हुए चराग़ बुझा कर नहीं गया

बस इक लकीर खींच गया दरमियान में

दीवार रास्ते में बना कर नहीं गया

शायद वो मिल ही जाए मगर जुस्तुजू है शर्त

वो अपने नक़्श-ए-पा तो मिटा कर नहीं गया

घर में है आज तक वही ख़ुश्बू बसी हुई

लगता है यूँ कि जैसे वो आ कर नहीं गया

तब तक तो फूल जैसी ही ताज़ा थी उस की याद

जब तक वो पत्तियों को जुदा कर नहीं गया

रहने दिया न उस ने किसी काम का मुझे

और ख़ाक में भी मुझ को मिला कर नहीं गया

वैसी ही बे-तलब है अभी मेरी ज़िंदगी

वो ख़ार-ओ-ख़स में आग लगा कर नहीं गया

'शहज़ाद' ये गिला ही रहा उस की ज़ात से

जाते हुए वो कोई गिला कर नहीं गया

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7 MAY 2020 AT 10:51

ज्ञान की नदी अन्धभक्ति के मरुस्थल में खो गयी है।
- रवींद्रनाथ टैगोर

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4 MAY 2020 AT 10:01

विश्वास को हमेशा तर्क से तौलना चाहिए. जब विश्वास अँधा हो जाता है तो मर जाता है।
~ महात्मा गांधी

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3 MAY 2020 AT 17:36

हमारे लोकतंत्र की यह ट्रेजेडी और काॅमेडी है कि कई लोग जिन्हें आजन्म जेलखाने में रहना चाहिए वे ज़िन्दगी भर संसद या विधानसभा में बैठते हैं।
~हरिशंकर परसाई

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17 APR 2020 AT 15:30

बोलने में मर्यादा मत छोड़ना, गालियाँ देना तो कायरों का काम है।
~ सरदार पटेल

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2 APR 2020 AT 7:01

दुनिया के पगले शुद्ध पगले होते हैं,
भारत के पगले आध्यात्मिक होते है ।
- हरिशंकर परसाई

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1 APR 2020 AT 16:59

मैंनें कहा, हिप्पोक्रेसी की भी सीमा होती हैं।
~मोदी जी

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1 APR 2020 AT 13:58

'सभी मुल्को को नाज था अपने-अपने परमाणु पर,
कायनात हो गयी बेबस, एक छोटे से विषाणु पर।'
~अज्ञात

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