Mohit Kumar Mishra  
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Life is not a bed of roses
खोए रहते हैं ख़ुद में ही ,
ख़ुद को ढूंढने को।।
Joined 28 October 2020


Life is not a bed of roses
खोए रहते हैं ख़ुद में ही ,
ख़ुद को ढूंढने को।।
Joined 28 October 2020
4 NOV 2022 AT 0:02

कभी खोजो सूनसान सड़क पर किसी राही को आख़िरी गाड़ी इंतज़ार की आशा
कभी खोजो आत्मविश्वास किसी गहरी बीमारी से लड़ते हुए मरीज में।।

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25 AUG 2022 AT 9:23

कब कौन दिल को भा जाए पता नहीं चलता
ये दिल का रास्ता है ये कभी सीधा नहीं चलता।।
✍️ Mohit Kumar Mishra

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9 FEB 2022 AT 10:32

प्रेम हो तुम मेरे,
पर मोह की इति नही करते,
अश्रु दामन में भरे हो,
पर बांटने की रीति नही करते।
तुम्हारा सहज विकलना,
मुझे भर देता है कश्मकश में,
तुम अपने आप को मुझमें
समाहित क्यों नहीं करते
सुगंध हो तुम पर
गुलाब को सहेजा नही करते,
मासूम से बच्चे हो तुम
पर मान जाया नही करते।
कैसे करूं मैं तुमको
अपने गुमसुम पलों में शामिल,
तुम क्यों ये एहसास भुल जाया नही करते।

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9 FEB 2022 AT 10:28

अब नहीं निकलते आंखों से आंसू
नहीं निकल पाते हैं कोई शब्द
बस निहारता रहता हूं घंटों शून्य में
बस जैसे कुछ पाकर भी कुछ पाने की लालसा है।
वो खोया है वही शायद पा लिया है
जो पाने को दौड़ रहा हूं
वो सिर्फ़ मृगतृष्णा है जीवन की,
जहां पर पहुंचने के बाद सिर्फ़ अहसास होगा
कि जो साथ था वही आंनद
अर्थात मोह की इति।।
छूट रहे हैं धीरे- धीरे सब बंधन
पर छूटने मे जो छटपटाहट हो रही है
लग रहा जैसे कोई पखेरु के पंखों को
बांध दिया हो उससे बोला जा रहा है उड़ो ,
पर उसको भान नहीं है अपने हौसले का ,
यही हौसला है प्रेम और विश्वास
जिससे हर बाधा पार होती है।।

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9 FEB 2022 AT 10:24

हो रहा है मिलन आत्माओं का जब,
न मिले जो शरीर तो क्या बात है ,
तुम थक जाओ जब याद कर लो मुझे,
जिंदगी फ़िर हंसेगी तो क्या बात है ।।

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5 FEB 2022 AT 11:41

बना सको गर
तन के अतिरिक्त
भी कोई योग
तभी जुड़ना स्त्री से..!
नहीं चाहतीं ये पूरा आकाश,
बस दे देना अपने
हृदय के आकाश में...
इनको प्रेम से स्थान ,
बैठकर बांट लेना
इनके दुखों को,
आपका एक प्रेम भरा अहसास
भुला देगा उनके सारे दुख उस क्षण
बस प्रेम ही तो चाहतीं ये अंजुलि भर!!

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5 FEB 2022 AT 11:28

अभी तो इश्क की इंतहा बाक़ी है
अभी तो दिल में धुआं बाक़ी है
ज़रा आओ बैठो दो घड़ी पास मेरे
अभी इस शाम की सुबह बाक़ी है।।

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3 FEB 2022 AT 8:34

लाख पहरे लगा दे ज़माना, रख दे फ़कत अंधेरों में...
इश्क वो उजाला है महताब का, एक सुराख काफ़ी है उसे असर दिखाने को ।।

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3 FEB 2022 AT 8:32

हो अंधेरे सघन कितने जिंदगी में,
एक चिराग़ काफ़ी अपने जिंदगी में.!!
न हो मायूस तू इस रहगुजर पे ,
सब पे आए हैं ये साये जिंदगी में..!!
मुद्दत से जो जी रहा हूं एक ग़म ,
नहीं ठहरेगा वो भी फ़िर जिंदगी में।।।

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3 FEB 2022 AT 8:16

हो जाती हैं वो ख्वाहिशें
कहीं दफ़न किसी कोने में,
जो नहीं भर पाती उड़ान,
जैसे कोई शिलालेख लिखकर
खो बैठा हो वह सभ्यता ।
उसी सभ्यता का अनावरण
करते हैं कुछ लोग
जैसे जीवन की पाठशाला में
आ गया हो कोई दर्शनशास्र का विद्यार्थी ।
जिसके आने से झड़ जाती है
समस्त धूल उस शिलालेख से,
और पुनः चमक उठता है वह ताम्रपत्र सा।

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