Mohit Giri   (Alfaaz mere)
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Joined 9 April 2021


Joined 9 April 2021
19 APR 2021 AT 0:13

कि इश्क एक ही जात में हो ज़रूरी है क्या
वो राजी हर बात में हो जरूरी है क्या
और हम दिल दे बैठे जिस मौसम में वो मौसम पतझर का था
अरे मोहब्बत सिर्फ बरसात में हो ज़रूरी है क्या

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17 SEP 2021 AT 22:23

जिसे खोने से डरते हो
तुम
वो तुम्हारा है क्या

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23 JUL 2021 AT 1:20

बाहर रौनक लगाए बैठे है
अन्दर श्मशान जलाये बैठे है

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6 JUL 2021 AT 14:30

आज फिर वो कत्ल करने के इरादे से आयी
मैं चाय लिए बैठा ही था
वो कानों में झूमका और लाल साड़ी मैं नजर आयी

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6 JUL 2021 AT 13:50

ये खूबसूरती किसी रंगों की मोहताज नहीं
होंठ पर जो काला तिल है
उससे सुन्दर कोई साज नहीं
इतनी सादगी से जो पहने है लिबास काला
मेरी कसम उससे बेहतर कोई लिबास नहीं

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8 JUN 2021 AT 20:27

मिट्टी सा छन रहा हूं
आकार मैं ढल रहा हूं
जैसे बनता है घडा भट्टी मैं
वैसे ही मैं तप रहा हूं

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7 MAY 2021 AT 23:29

हमे नींद बहुत आने लगी है
वो अब बहुत रिझाने लगी
सो गए ये सोच कर कुछ अच्छे सपने आयेंगे
पर अब वो बेवफा सपनों में भी आने लगी है

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30 APR 2021 AT 1:45

काफी कम उम्र में ही बहुत कुछ सीखा देता है
प्यार वो एहसास है जो हमे इन्सान बना देता है

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29 APR 2021 AT 9:24

जन्नत ए इश्क की हर बात अजीब होती है
किसी को आशिकी तो किसी को शायरी नसीब होती है

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27 APR 2021 AT 23:01

ऐहसास के दामन मैं आंसू गिरा कर देखो
प्यार कितना है तुमसे आजमा कर देखो
और तुम्हें भूल कर क्या होगी दिल की हालत
किसी आईने पर पत्थर गिरा कर देखो

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