कि इश्क एक ही जात में हो ज़रूरी है क्या
वो राजी हर बात में हो जरूरी है क्या
और हम दिल दे बैठे जिस मौसम में वो मौसम पतझर का था
अरे मोहब्बत सिर्फ बरसात में हो ज़रूरी है क्या-
आज फिर वो कत्ल करने के इरादे से आयी
मैं चाय लिए बैठा ही था
वो कानों में झूमका और लाल साड़ी मैं नजर आयी-
ये खूबसूरती किसी रंगों की मोहताज नहीं
होंठ पर जो काला तिल है
उससे सुन्दर कोई साज नहीं
इतनी सादगी से जो पहने है लिबास काला
मेरी कसम उससे बेहतर कोई लिबास नहीं-
मिट्टी सा छन रहा हूं
आकार मैं ढल रहा हूं
जैसे बनता है घडा भट्टी मैं
वैसे ही मैं तप रहा हूं-
हमे नींद बहुत आने लगी है
वो अब बहुत रिझाने लगी
सो गए ये सोच कर कुछ अच्छे सपने आयेंगे
पर अब वो बेवफा सपनों में भी आने लगी है-
काफी कम उम्र में ही बहुत कुछ सीखा देता है
प्यार वो एहसास है जो हमे इन्सान बना देता है-
जन्नत ए इश्क की हर बात अजीब होती है
किसी को आशिकी तो किसी को शायरी नसीब होती है-
ऐहसास के दामन मैं आंसू गिरा कर देखो
प्यार कितना है तुमसे आजमा कर देखो
और तुम्हें भूल कर क्या होगी दिल की हालत
किसी आईने पर पत्थर गिरा कर देखो-