वाबस्ता इन आँखों से अफ़साने है कई,
लफ्ज़ ओढ़े मोहब्बत सनम, अनकहे सभी..
इलज़ाम गलत है मेहकशी पर, मेरी इस बद्तर हालत का,
अंजाम तो है ये महज़ तेरी दीवानगी का ही!-
❤ 16 ka shaayar ❤
तेरी तारीफें ज़ाहिर करते करते शायर बन बैठे हम,
अब जो नाम भी आ जाए ज़ुबाँ पर तुम्हारा सनम, यह दिल शेर समझ उसे, वाह वाही की रेली लगा देता है।-
तुझे देख के ही तो होंठों को सुकून मिल जाता है थोड़ा,
वरना ज़ालिम मोहब्बत का बाज़ार बढ़ा है जबसे, मुस्कुराहट का मोल भी बढ़ गया है।-
ना ही नफ़रतें हैं इफरात किसी से मुझे।
ना इल्ज़ामात किसी भी शख्स पर..
है दिली ख्वाहिश अब मेरी बस यही,
के जिंदा रहूँ मैं किस्सों में उनके कहीं..
जीता रहा हूँ जिन्हें सर-आँखों पे रख कर!-
एक उम्र खालिस निकाल इस रूखी ज़िन्दगी से,
चल ख़्वाबों के कारवां में सफर पर चलें।
इन दायरों से दूर किसी और जहाँ में सनम,
फिर वही अधूरी मोहब्बत मुकम्मल करें!
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कुछ राज़ मेहरुबा के मालूम मुझे भी हैं।
हर अकेली रात में मुझे उसका हमदर्द कर दे!
दे कर दाग कुछ जिस्म पर मेरे ऐ ज़िन्दगी..
मुझे तू उसका चाँद कर दे!-
अक्स तेरा हो हर दर्पण में,
हर ज़र्रे में तू शामिल हो।
धड़कन हो तू सनम,
और दिल हो मेरा!
बर्फीली वादियों में,
तू सुलगती आग हो..
मोहब्बत हो तू सनम,
और नसीब हो मेरा!
तेरा आना हो हर रोज़ जहाँ,
वह ख्वाब भी मेरे हों..
मेरे हर मर्ज़ की
तू ही एक-लौैती दवा!
रहना दूर मुझसे मगर,
बिछड़ना ना कभी तुम..
वक्त का तकाज़ा होगा सिर्फ,
यूँ इम्तिहान-ऐ-इश्क मेरा!-
ज़िक्र बस तेरा हो लबों पर,
बाकी सारे लफ्ज़ बेज़ुबान रहें।
तू रहे पास मेरे हर लम्हा हर पहर..
तेरे सिवा ना मेरी कोई ख्वाहिश रहे।
इबादत मेरी, तू ही एक-लौती दुआ!
हर ज़र्रे में तेरी ही मौजूदगी रहे।
तू लाज़मी, बेमुकम्मल मोहब्बत तू..
तू ही इस दिल की आबरू अधूरी रहे!
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ये जो दर्द दफ़न है ज़हन में कहीं,
इन्हें हमदर्द यूँ तो कोई मिलता नहीं।
मगर जो उकेर दूँ इन्हें ज़रा शायरी की शक्ल में,
तो अक्सर लोग वाह-वाह किया करते हैं!
अश्कों की नमी पर व्यंग,
मिसरे पर मुसलसल इरशाद किया करते हैं..
हर महफ़िल में खिलवाड़ ग़मों से होता है जिसके,
उसे तजुर्बे से शायर जनाब कहा करते हैं!
- ख़्वाबीदा©
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We don't need a reason to love,
But millions to hate each other!
And.. It's impossible for us to get those..
As becuase of our friendship's bond,
We are so close!
- KHBDA©-