तकदीर में उससे मिलना लिखा था
उसका मिलना नहीं-
कि मैंने निभाया है हर रिश्ते को ईमानदारी से !
यकीन मानो दोस्त
कुछ नहीं मिलता इस वफादारी से !-
फटे कपड़ों में तन अपना छुपाना सीख लेते हैं
जरा सी उम्र में बच्चे कामना सीख लेते हैं-
क्यों तकता हैं आसमान को तू
कोई रहता है आसमान मे क्या
ये मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता
एक ही शख्स था जहांन में क्या-
एक मुद्दत से अपने काम पे हूं
जैसे जिंदा ही तेरे नाम पे हूं
इश्क का आखिरी मुकाम है मौत
और मैं आखिरी मुकाम पे हूं
-
मैं अपने खास नहीं बदलता !
मोहब्बत में एहसास नहीं बदलता !
और वो जब भी मुझको गले से लगती है !
मैं हफ्तों तक लिबास नहीं बदलता !
-
कुछ दूर चल कर गम मनाने गए थे !
देख कर हम उसको मुस्कुराने गए थे !
एक दीवार पर नाम लिखा था तुम्हारा हमारा !
आज वक्त निकाल कर वही मिटाने गए थे !-
गुनाहों की तौबा तो हो जाए
कोई मुझ पर मेहरबा तो हो जाए
मुझसे मिलना फिर बिछड़ जाना
इश्क ना सही तजुर्बा तो हो जाए
-
मरीज हमको दवाएं बताने लगते हैं
बुरा हो वक्त तो सब आजमाने लगते हैं
नए अमीरों के घर भूल कर भी मत जाना
हर एक चीज की कीमत बताने लगते हैं-
करवट करवट रात कटी है
नींद ना आई आंखों में
यादों ने उलझाए रखा
न जाने किन-किन बातों में-