अश्क़ आते रहे अश्क़ जाते रहे!
हम फिर भी न जाने क्यों मुस्कराते रहे!!
मन में न जाने क्या चल रहा था!
न जाने क्यों दिल मचल रहा था!!
कुछ बातो पे था मैं खुद से नाराज!
आ रही थी मन से आवाज!!
की करता हुं मैं अच्छा, ना जाने क्यों होता हैं बुरा!
मेहनत करता हुँ पुरी, पर फल मिलता है अधुरा!!
फिर मन में आता है विचार!
कि कर्म कर फल की इच्छा मत कर ए इंसान!!
मेहनत कर खुद पे रख के विश्वास!
जब तक है आखिरी सांस!!
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