चोट बड़ी शदीद लगी है
बिला वजह मन दुःखी नहीं है
वो हमारे अपने हों या ग़ैर
साज़िश मे शामिल सभी हें
ये ज़ालिम ज़माने को क्या ख़बर
आँख से बहा आँसू बे-मोल नहीं है
क्यों करुं ग़म क़िस्मत का
जबकि मेरे हौसले पस्त नहीं है
ऐ मालिक कुछ तो आसां कर इसे
क्या मुश्किलों का नाम ही ज़िंदगी है..
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क्या बात है क्यों आज दिल ऊब रहा है
किसी के अहसासों मे दिल डूब रहा है
फ़क़त चंद लम्हों को हम ज़िंदगी मानते हैं
गुज़रा वक़्त उसके संग क्या ख़ूब रहा है
भिगो दे कोई बादल सारा तन बदन
मेरी रुह का दरिया मारे बैचेनी के सूख रहा है
कोई आकर सम्भाल सके तो सम्भाल ले मुझे
मेरे यक़ीं का शकिस्ता धागा अब टूट रहा है
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थी अपने वास्ते तो महज़ कड़ा इम्तेहान
होगी ज़िंदगी सबके लिए एश ओ आराम
छिपा कर दर्द सीने मे लबों से मुस्कुराना
हा मैं अलग हूं ज़माने से अलग हे मेरी पहचान
कहने वाले मग़रुर मुझे क्या जाने मेरी बेक़रारी
मै नदी की तरह खो जाऊँ गर वो समुंदर ले थाम
बैठिये दम लीजिए छोड़िए ये दिखावे का सलाम
आप तो यह बताइये हे क्या आपको मुझसे काम
और समझकर सबकुछ बने रहना अनजान
हे यही ज़िंदगी का फ़लसफ़ा समझ गये मेरी जान..-
آہٹ سی کوئی آئے تو لگتا ہے کہ تم ہو
سایہ کوئی لہرائے تو لگتا ہے کہ تم ہو
جب شاخ کوئی ہاتھ لگاتے ہی چمن میں
شرمائے لچک جائے تو لگتا ہے کہ تم ہو
صندل سے مہکتی ہوئی پر کیف ہوا کا
جھونکا کوئی ٹکرائے تو لگتا ہے کہ تم ہو
اوڑھے ہوئے تاروں کی چمکتی ہوئی چادر
ندی کوئی بل کھائے تو لگتا ہے کہ تم ہو
جب رات گئے کوئی کرن میرے برابر
چپ چاپ سی سو جائے تو لگتا ہے کہ تم ہو
جاں نثار اختر
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پھول مہکیں گے یوں ہی چاند یوں ہی چمکےگا
تیرے ہوتے ہوئے منظر کو حسیں رہنا ہے
اشفاق حسین
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अब के बिखरा हूँ कुछ इस ढंग से मैं
कि समेटूं तो मुझे मिले न वो जो था मैं!-
कहने को इक कमी सी हे ज़िन्दगी में
देखो तो ज़िन्दगी ही नही ज़िन्दगी में।-
दोस्त: आजकल ख़ाली वक़्त में क्या अलग कर रहे हो जो पहले नही करते थे।
मी: मोबाईल चार्ज😊
दोस्त: सीरियसली क्या हो रहा हे
मी: इंतज़ार
दोस्त: किसका
मी: लाईट आने का😊😊😊😊
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और तुम सारी दुनिया से जीत जाओगे...
बस इतना करना कभी ख़ुद से मत हारना।-