उसको, जाने के बाद ढूंडा बहूत
मगर पक्की सड़कों पर पैरों के निशां नहीं होते !!-
Kitni adhuri si baaten darmiyaan hai
Kuch tujh me kuch mujh me bhi khamiyaan hai
Kuch khwab hai jo kaid hai palkon me
Base ho tum sirf tum mere hr pal me
Magar fir bhi kahan km huyi ye duriyan hai......
Kuch adhuri si baaten hain jo darmiyaan hai.....-
अक्स अक्स गुमाँ गुमाँ
खयाल सारे मुसतरिद,,
तू नहीं तो कुछ नहीं
सवाल सारे मुसतरिद ।।-
इश्क में देखा सूरत तो क्या देखा
इश्क सीरत से हो, तो कुछ बात हो ।।-
मुकम्मल हुआ हो इश्क
वो हथेली देखनी है,,
कैसी होती है वो लकीरें
जो मेरे हांथों में नहीं !!-
अब अंधेरे को अपना समझ बैठे हैं,,
चाहत तो रौशनी की थी, मगर
अंधेरों से मुहब्बत कर बैठे हैं ।।।-
जज़्बात दिल के अगर दिल मे ही रहे तो अच्छा होगा
शमा जिस महफिल की हो उसी महफिल मे जले तो अच्छा होगा,,
नही होता सही हर किसी का दामन थाम लेना
ना दिया जाए हर किस्से को आशिकी का नाम तो अच्छा होगा,,
मय बहती है यूं तो यहां मैखानों मे हर चौक पर
नशा अगर पिलाए दिलबर अपनी निगाहों से तो अच्छा होगा,,
जो जा चुका है तुम्हे तन्हा करके पहले कभी
उसकी यादो को भी तन्हा छोड़ दिया जाए तो अच्छा होगा,,।।
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शब्दों से नाता तोड़ दिया ,,
एहसास अब कुछ बचा न दिल में
ये सब मोह माया छोड़ दिया ।।
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कितनी खूबसूरत लगती हैं ये
जब तन पे कपड़े होते हैं इनके,,
न जाने कौन सी शिक्षा ने
इन्हे अद्धनंगा बना दिया ।।— % &-
टी वी नहीं है वो, वो अखबार नहीं है
या सच का आज कोई खरीददार नहीं है।।
इस झूठ के धंधे मे है मुनाफा ही मुनाफा
सच बेचने निकला था, लेकिन कोई बाज़ार नहीं है।।
हिंदू, कोई मुस्लिम, कोई सिक्ख, कोई ईसाई
इंसान वाला अब कोई किरदार नहीं है।।
जो कत्ल कर गया अब भी फरार है
जो पकड़ा गया वो असली गुनहगार नहीं है।।— % &-