मोहब्बत का आख़िरी सफ़र___®️   (FB - Mohabbat Ka Aakhri Sfr___ ®️)
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Joined 27 May 2020


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Na ruki waqt ⏰ ki gardish , Na zamana badla.
Ped 🌳 sukha or parindo 🦅 ne thikana badla.
1842

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Na zakham bhare , Na sharab 🍷 sahara hui.
Na wo 👆 aayi , Na mohabbat dobara hui.

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हाथ धो कर पीछे पड़ा हूँ मैं उनके
जो उसको अज़ीज़ है।

मैं उसकी क़िस्मत से बंधने के बाद भी
आवरा ही रहा।
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हर इंसान ख़ुदगर्ज़ है यहाँ
अगर मसला साथ निभाने का हो।
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ख़ुशी ढूँढता रहा मैं उम्र भर
हर मका से मैं ख़ाली हाथ ही आया
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मैंने हर किसी से मुँह मोड़ लिया।
हर किसी की खाता की सज़ा ख़ुद को दी मैंने।
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मैंने पागल हो कर भी देख लिया
उनके लिए
जो लोग तुम्हें समझना ही नहीं चाहते
उनसे आगे और क्या उम्मीद रखना
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झूठ का कारोबार करते है यहाँ
वो इंसान भी
जिसे नेकीं समझ कर अपना बनाया हो
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मैं उसको अपना आईना समझ रहा था
फिर याद आया
आईना तो झूठ नहीं बोलता 💔
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वो बैठे है अपनों की महफ़िल मे
सालिम तू तो आज भी अकेला ही रहा
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