Mohan Ganglekar   (Prof. Mohan ganglekar)
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Joined 26 December 2021


Joined 26 December 2021
19 FEB 2022 AT 16:20

कोई अजनबी खास हो रहा है
लगता है फिर प्यार हो रहा है
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18 FEB 2022 AT 0:21

वरना फिर से जी लेता।— % &

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17 FEB 2022 AT 5:12

तुम्हे सोचके लिखू या लिखकर सोचु
हर बार बिना सोचे ही याद आती हो,
रुला के मुझे, आँसुओ की स्याही से,
हर बार यादो के पन्ने भर जाती हो।— % &

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17 FEB 2022 AT 4:42

पाना चाहा उसे, ओर पा लिया
पर खोना उसे मेरे हाथ मे न था
वो इस कदर खो गयी, की खोज नही पाया
सामने से गुजरने के बाद भी आज,
इस कदर खो गया की, की खोज नही पाया।
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15 FEB 2022 AT 19:57

मेने कोशिश तो की
की बोल दु तुम्हे
पर झूठ और अविश्वास के जहर ने
रोक लिया तुम्हे

मेने कोशिश तो की
की रोक लू तुम्हे
पर दुनिया की जंजीरों ने
छिन लिया तुम्हे— % &

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15 FEB 2022 AT 19:38

जीवन भर साथ जीना तो मुमकिन न था
परन्तू हर वो पल जो साथ तेरे मे गुजरा था
तुम्हे मन में याद करके खुद ही मुस्कुरा लेता हूं— % &

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15 FEB 2022 AT 19:13

न जाने कैसे भंवर में फसा था
गैरो को ही सच मान चुका था— % &

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4 FEB 2022 AT 2:33

जमाने को ख़ुश करके।
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2 FEB 2022 AT 2:03

आज एक शायर ने
फिर दिला दी याद उसकी
जिसे भूलने में लगे थे बरसो

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31 JAN 2022 AT 5:04

फूलो भरी राहों में चलने को बेकरार था,
मोहब्बत में उनसे एक इकरार था,
दुनिया की उलझनों ने, राहों को कटीली,
ओर मोहब्बत को दर्दीली बना दिया।
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