Mohan Dhuratkar   (Mohan D. Dhuratkar)
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Born to learn
Joined 3 December 2017


Born to learn
Joined 3 December 2017
26 DEC 2023 AT 1:55

थोड़ा तुम्हें और थोड़ा मुझे चलना है चांद के साथ सफर करना है।
बीती बातों को भुलाकर अब आगे बढ़ना है चांद के साथ सफर करना है।
नई राह का मुसाफिर बनके अब साथ चलना है चांद के साथ सफर करना है।
तेरा साथ पाकर मुझ कली को अब खुलना है चांद के साथ सफर करना है।
बचपन की यादों को अब फिर से जीना है चांद के साथ सफर करना है।
रूठी हुई जिंदगी को फिर से मानना है चांद के साथ सफर करना है।
बेरंग इन फिजाओं में फिर से रंग भरना है चांद के साथ सफर कर रहा है।
तुझे पाकर फिर से अब मुझे जिना है चांद के साथ सफर करना है।

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25 DEC 2023 AT 21:46

Integration, Dedication and Devotion in the every act that is performed for the welfare and well-being of humanity and every other living creature on the Planet

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25 DEC 2023 AT 21:29

Santa is on the way...
Overloaded with peace and Happiness
Distributing kindness, patience, hope and honesty to our dear children's

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25 DEC 2023 AT 21:23

Our Universe having infinite space join with the large interval of time, and here we exist for only few seconds. Explore those few seconds.

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23 DEC 2023 AT 20:31

Till today , this moment, Earth it the only planetary home to life.

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12 AUG 2023 AT 20:47

क्यों फिक्र करते हो मंज़िल की, चल रहे तो सफ़र है, जहा रुक गए वो मंज़िल ।

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2 APR 2023 AT 16:24

परी हूं मै 🧚‍♀️🧚‍♀️
अपने मम्मी की आंख का तारा हूं मै
पापा के दिल की धड़कन हूं मै
परी हूं मै 🧚‍♀️🧚‍♀️
खुशियों का खजाना हूं मै
रूठे हुए की मुस्कान हूं मै
परी हूं मै 🧚‍♀️🧚‍♀️
जीवन की उमंग हूं मै
आशा की नई किरण हूं मै
परी हूं मै 🧚‍♀️🧚‍♀️
वसंत ऋतु में आने वाली बाहर हूं मै
आसमान में छाया इन्द्रधनुष हूं मै
परी हूं मै 🧚‍♂️🧚‍♂️
अपने भईया की लाडली हूं मै
अपने मामा की दुलारी हूं मै
परी हूं मै 🧚‍♀️🧚‍♀️
अपनी मन मौजी हूं मै
छोटी हूं लेकिन सब समझती हूं मै
परी हूं मै 🧚‍♀️🧚‍♀️

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19 MAR 2023 AT 19:52

किसे पता था, ज़िंदगी फिर करवट बदलेगी, मिली हुई मुस्कुराहट को एक बार फिर रात के अंधेरे में मुझसे छीन ले जाएगी।

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23 OCT 2022 AT 0:04

All types of argument comes to end when love begins to nurture.
No need to say or explain anything, just experience the love that motivate you to read eyes and not words.

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20 OCT 2022 AT 23:24

मन से झगड़ोग्गे तो मनभेद होगा, स्वयंम के ऊर्जा का नाश होगा, झगड़ना ही क्यों है, और यदी झगड़ना भी पड़े तो मतभेद के लिए झगड़ना उचित है, मनभेद के लिए नहीं। मतभेद भिन्न भिन्न स्वरूप के होने भी चाहिए, वहीं मानव के प्रगति और संतुलन का कारण भी बनता है। मनभेद से कोई लाभ नहीं होता। वो बस हमें अपने अहंकार को बढ़ावा देने में उपयोगी होता है। अहंकार नहीं बल्की प्रगति के पथ पर हमें चलना है।

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