ये कोई बात नहीं, ये हकीकत है:
हम लोग अक्सर दौलतमंद लोगों को देखकर खुद की ज़िंदगी को बड़ी ही नागवार समझते, हम ये भूल जाते हैं कि आज जो हमारे पास है, आज जो हमारी जिंदगी है वो भी किसी का ख़्वाब है...
सच है कि, कुछ को दो वक्त की रोटी भी मयस्सर नहीं, तो किसी के सर पर छत तक नहीं, तो किसी के पैरों में चप्पल तक नहीं...।
कोई बेघर सा बारिश में भीग रहा, तो कोई एक रोटी के टुकड़े के लिए तड़प रहा..।
कोई पानी की एक बूंद को तरस रहा, तो कोई नंगे पांव ही रास्तों पर चल रहा..।
सोचो ज़रा कि तुम्हारे पांव में एक कांटा चुभ जाए कोई कंकड़ लग जाए तो तुम जूता-चप्पल तक खरीद लाते हो, और उसे एक टूटा फटा चप्पल भी मयस्सर नहीं...।
तुम शुक्र करो कि तुम्हारे दस्तरखान पर रोटी सब्ज़ी ही नहीं, फ़ल फ्रूट भी है, और एक वो है जिसके पास खाना तो क्या बिछाने के लिए दस्तरखान भी नहीं...।
एक तुम हो की हर छोटे से छोटे दिन हो या त्योहार, नए कपड़े ले आते हो, और एक वो है कि उसके तन को पूरा ढकने के लिए भी कपड़ा नहीं...।।
इसीलिए दोस्तों तुम हर पल हर लम्हा उस खुद का जितना शुक्र अदा करो उतना कम है, तुम्हारा ग़म तो फिर भी कम है...।।-
ज़िंदगी एक सफ़र है...
और सफ़र में हम है...
हम सफ़र हैं सफ़र से, सफ़र में...-
ये दौर ईमानदारी का नहीं है,
इस दौर में तो बेईमानी ही जीतती है,
ये दौर सच्चाई का नहीं है,
इस दौर में तो झूठ ही जीतता है,
ये दौर सलीके से झुक कर के मिलने का नहीं है,
इस दौर में तो बद'सलीका ही जीतता है....
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कभी कभी दूसरों का ख्याल भी जानने लेना चाहिए,
सिर्फ अपनी अपनी थोंप देने से जिंदगियां नहीं चलती...।।-
हर कोई अपने हिसाब से इस्तेमाल कर रहा है,
कोई अपने मतलब के लिए, कोई अपनी खुशी के लिए,
तो कोई अपने काम के लिए, मगर किसी को मेरा ख्याल नहीं...मैं जिंदा हूं पर ज़िंदा नहीं...।।-
एक स्प्रिंग को हम जितना ज्यादा दबाते हैं,
उसे छोड़ने पर उतनी ही दूर उछलकर चली जाती है,
ठीक इसी तरह हम किसी इंसान को जितना ज्यादा दबाते हैं, वो इंसान एक न एक दिन उतना ही दूर चला जाता है...।।-
हर चीज़ का एक वक्त होता है,
अगर वक्त पर न दी जाए, तो फिर
उनके कोई मायने नहीं रहते...।।
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वक्त रहते परिंदे को खुले आसमां में उड़ने न दिया जाए,
तो वक्त आने पर वो उड़ान नहीं भर पाते..।।-
किसी को इतनी भी आजादी मत दो की वो अपनी हदें भूल जाए, और किसी को इतना भी मत रोको, टोको कि वो आपसे दूर हो जाए।।
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