साथ छोड़ने वाले को तो एक बहाना चाहिए निभाने वाले तो मौत के दरवाजे तक साथ नहीं छोड़ते।
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“वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां,
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है” ✊🏼-
बहुत रोते हैं पर दामन हमारा नम नहीं होता
इन ऑंखों के बरसने का कोई मौसम नहीं होता ।
हमेशा दुश्मनों के बीच भी महफ़ूज़ रहता हूँ,
मेरी मॉं की दुआओं का खज़ाना कम नहीं होता ।-
एक दिन को दूर दिल से हर एक ग़म भी हो गया
एक साल ज़िन्दगी का मगर कम भी हो गया
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इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ
माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ
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ग़ैर से खतरा कम होता है ग़ैर की कोई फिक्र नही
अपनो की ये बस्ती है तुम चलना ज़रा हुशयारी से....!-
मौत का जायका बदलते हैं
भूक के साये में जो पलते है
हैं अजब किस्म के मुसाफ़िर ये
जां हथेली पे लेके चलते है-
तेरी फुरकत में ऐ मीरे हमदम
कैसे दलदल में धंस गया हूं मैं
तुझ से अब किस तरह मिलु आकर
लॉक डाउन में फंस गया हूँ मैं
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कमाल है ना..
आंखें तालाब नहीं
फ़िर भी भर आती है
दिल कांच नहीं
फ़िर भी टूट जाता है
और इंसान मौसम नहीं
फ़िर भी बदल जाता है-