तेरी कहानी के पर्चे बचे थे मेरे घर के सामने खर्चे खड़े थे है तेरी बातें तो तू ही थी बस पर मेरे सामने अपने खड़े थे तू बात करती शौक की हाथ मेरे खाली पड़े थे तू चांदनी रात में आती थी और रात मेरी काली कर जाती थी तू मुझसे लड़ती झगड़ती ये सब मैं आसानी से सह लेता भले ही मैं तुझे कुछ नही बोलता था But you don't know कि मैं सब समझता था अब तेरी बातों से मुझे घंटा फ़र्क नहीं पड़ता "Baby" तेरा ये काला जादू अब मुझपे नही चलता
सुनो बे हम क्या सोच रहे हैं ना कि, तुम्हारे ढींट से एहसासों को दो लप्पड़ राशिद करें और ऊपर से गरियांएं भी दबा के, वो क्या है ना जीना दुश्वार कर के रखीं हैं हमरा।
दो बातें और चार कदम ज़िंदगी जैसे हो गई खतम जब मिले तुमसे तो लगा की हम मिले हैं किसी से किस्से कहानी जो सुना था किसी की ज़ुबानी तो जैसा लगा था कि हमें वो सब थे बेमानी हकीकत लगा तब चली साथ हमारी जिंदगानी