बाज़ दफा लगता है ये कम्पनियां हमें बेवकूफ़ बना रही हैं 8 घंटे के नाम पर 10 घंटे काम करवाना और फिर सोचता हूं जब हम बचपन में स्कूल जाते थे तब उस्ताद और वालिदैन हमसे कहते थे पढ़ लो बेटा नहीं तो पछताओगे और आज ये बातें समझ आ रही की बातें सही थी और हम खुद को बेवकूफ बना रहे थे और आज शायद हकीक़त के रास्तों पर चलने से खुद को समझ पा रहे हैं
देखो यार काबिलियत आज़ादी दिलाती है
और जाहिलिया गुलाम
तो काबिल बनो चाहे पढ़ के या कोई हुनर सिख के जैसे भी बस बनो..
नहीं तो आप किसी कंपनी के गुलाम बन के रह जायेंगे..-
(मुतवस्सित)
कहानी बनती है जो उपज में उसके "विलेन" विलेन जैसे ही ... निकलता है तो "हीरो"
लोगों का मन और मन को छूता ये "कहानीकार"(लेखक)
चाहिए क्या हमको "हिरोइन"?
आगे क्या और ... (कहानी के लिए पूछ रहा)?
आगे पीछे हीरो या पीछे आगे हिरोइन
[ड्रामा रोमांस ब्रेकअप क्लाइमेक्स]
हैप्पी एंडिंग
The End
कब और कब्तक?-
याद तुम करते हो
या बस मज़ाक करते हो
ना ख़बर ना पैग़ाम
खत लिखते भी हो या
दफ़्तर में काम करते हो
दौलत तो कमा लोगो
खर्च जो मुहब्बत करते हो-
सड़क किनारे मदारी की बजती ढोलक गूंगी लगी
व्यस्थ जीवन और इंसानियत मुझे बहरी लगी-
देखना ज़रा ये दिल पे दस्तक कौन दे रहा है
अंधेरा तो बहोत है मगर रोशनी कौन दे रहा है-
तेरी कहानी के पर्चे बचे थे
मेरे घर के सामने खर्चे खड़े थे
है तेरी बातें तो तू ही थी बस
पर मेरे सामने अपने खड़े थे
तू बात करती शौक की
हाथ मेरे खाली पड़े थे
तू चांदनी रात में आती थी
और रात मेरी काली कर जाती थी
तू मुझसे लड़ती झगड़ती
ये सब मैं आसानी से सह लेता
भले ही मैं तुझे कुछ नही बोलता था
But you don't know कि मैं सब समझता था
अब तेरी बातों से मुझे घंटा फ़र्क नहीं पड़ता
"Baby" तेरा ये काला जादू अब मुझपे नही चलता
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सुनो बे हम क्या सोच रहे हैं ना कि, तुम्हारे ढींट से एहसासों को दो लप्पड़ राशिद करें और ऊपर से गरियांएं भी दबा के, वो क्या है ना जीना दुश्वार कर के रखीं हैं हमरा।
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दो बातें और चार कदम ज़िंदगी जैसे हो गई खतम
जब मिले तुमसे तो लगा की हम मिले हैं किसी से
किस्से कहानी जो सुना था किसी की ज़ुबानी
तो जैसा लगा था कि हमें वो सब थे बेमानी
हकीकत लगा तब चली साथ हमारी जिंदगानी-