वादों के बोझ को तू क्यों सर पे ढो रहा है?
अब किसको याद करके तू ऐसे रो रहा है।
अब हो गई है देर और, कोई लाभ न बचा,
कोई फिक्र ही नही है वो अब भी सो रहा है।-
मिजाज़ इसके इश्क़ का बड़ा निराला है,
ये दिखता गोरा है पर अंदर से बड़ा काला है।
इसको यूँ ही आशिक़ नहीं कहते हैं जनाब,
इसने कई हसीनो के दिल में डाका डाला है।
मोहम्मद आरिफ "जानसी"-
अरे आज भी जमाना, वो याद आ रहा है,
लगता है जैसे आरिफ, स्कूल जा रहा है।
पन्ने वो कॉपियों के, न जाने कहाँ गए?
होमवर्क का चैक होना, मुझको सता रहा है-
अब दिल की तन्हाई को, महसूस कर लिया है,
जो लिखा नही था कागज़ पे, वो भी पढ़ लिया है।
मुश्किल थे तब हालात जो, वो आज भी तो हैं,
फिर भी सनम को देखकर बाहों में भर लिया है।
मोहम्मद आरिफ "जानसी"-
नई उमंग और नई उम्मीद लेकर आएगा वो कल,
अरे! भूल जाओ दोस्तो जो बुरे बिताए थे वो पल।-
जीतने के लिये अंत तक लड़ना होगा ,
चाहे पब जी हो या ज़िंदगी हो।-
ज़िंदगी ये तो बता, वो अलग हुए तो मेरी क्या खता थी?
मैं तो जैसा था वैसा ही रहूंगा, ये बात तो उनको पता थी।-
इन बेवफाओ के लिए क्यों,तू खुद को बरबाद करता है?
वो तुझे याद करते नहीं, तो तू क्यों उनको याद करता है।-
अपनो ने ही दिये हैं यारों ज़ख्म हज़ार,
चुपके से कर दिए हैं खंज़र से मुझपे वार।-