वादों के बोझ को तू क्यों सर पे ढो रहा है? अब किसको याद करके तू ऐसे रो रहा है। अब हो गई है देर और, कोई लाभ न बचा, कोई फिक्र ही नही है वो अब भी सो रहा है।
मिजाज़ इसके इश्क़ का बड़ा निराला है, ये दिखता गोरा है पर अंदर से बड़ा काला है। इसको यूँ ही आशिक़ नहीं कहते हैं जनाब, इसने कई हसीनो के दिल में डाका डाला है। मोहम्मद आरिफ "जानसी"
अब दिल की तन्हाई को, महसूस कर लिया है, जो लिखा नही था कागज़ पे, वो भी पढ़ लिया है। मुश्किल थे तब हालात जो, वो आज भी तो हैं, फिर भी सनम को देखकर बाहों में भर लिया है। मोहम्मद आरिफ "जानसी"