उत्साह उमंग के भाव से
नई फसल के चाव मे
शीश से छोर तक
वतन मे चारो और तक
पर्यावरण को पूजता
एक पर्व सक्रांत का
खिलखिलाती पतंगो का
मुस्कुराते बागानों का
ठिठुरती ठंड मे
अग्नि लहरो के ताप का
लोहडी के गीतो का
पोंगल के आह्वान का
आभार व्यक्त करता
प्रकृति के उपहार का
ठिठुरती ठंड म
-
राणा प्रताप का
शिवाजी महाराज का
भगत सुखदेव और
चंद्रशेखर आज़ाद का
भारत
सरहद मे सुलगते शेरो का
विरासत मे पाए वीरो का
भारत
गंगा जमुना के पानी मे
सुनहरा अतीत झलकता है
सपूतो की कुर्बानी से
ऑखो से नीर छलकता है
गांधी, सरदार और नेहरु के
बलिदानो की निशानी भारत
ईशघरो की वंदना मे
गुरुव्दारो की गुरबानी मे
भारत
मीरा, तुलसी , की भक्ती से
क्षत्राणियो की शक्ति से
है तेरी पहचान भारत
हिमशिखा जिसके शीश पे सजे
तोयसुधा जिसके चरणो मे बसे
वो है मेरी शान भारत
-
आशाएं आवाम की
बनकर तिरंगा
आसमा मे लहराती है
पहचान विश्व की
हो अपने वतन से
ये सपनो की मशाल जलाती है
तीन रंगो से ध्वज सजा
और कई रंगो से देश सजाया
अलग अलग बोलियो
से सबने देशप्रेम का तराना गाया
सरहदे अलंकृत है
रक्त धाराओ से जिन वीरो की
उन्ही वीरो की बलिदानिया
सारी दुनिया को सुनाती है
आशाए आवाम की
बनकर तिरंगा
आसमा मे लहराती है
-
क्या चहकते परिंदे
गर आसमा न होता
क्या महकते फूल
गर मौसम जवा न होता
क्या धडकते दिल गर
साॅसे न होती
क्या दिखते ये नज़ारे
गर ऑखे न होती
सब कुछ होता
पर सोचो क्या होता
गर आज़ादी न होती-
गलतिया की है
माना हजार मैने
यह भी सच है
किया बहुत है आपसे प्यार मैने
जैसे मनचले परिंदे संभलते है
आसमा मे
रब ने भेजा आपको संभालने
मुझे इस जहाॅ मे
हर हसरत को हकिकत मे बदलते
देखा है
मैने खुद को आपके साए मे सॅवरते देखा है
माॅ मेरा आधार तो आप मेरा अहंकार हो
माॅ मेरा संसार तो आप मेरे पालनहार हो-
गलतिया की है
माना हजार मैने
यह भी सच है
किया बहुत है आपसे प्यार मैने
जैसे मनचले परिंदे संभलते है
आसमा मे
रब ने भेजा आपको संभालने
मुझे इस जहाॅ मे
हर हसरत को हकिकत मे बदलते
देखा है
मैने खुद को आपके साए मे सॅवरते देखा है
माॅ मेरा आधार तो आप मेरा अहंकार हो
माॅ मेरा संसार तो आप मेरे पालनहार हो-
बहारे भी शरमा जाती है
सुरत आप दोनो की
फिज़ाओ मे कुछ ऐसा
असर कर जाती है
सलामत रहे जोडी आपकी
ये दुआ खुदा से कर जाती है
दर पर आपके खुशिया ठहर
जाती है
संग आपके मुस्कुराहटे बसर कर जाती है
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सपना सजाती है ऑखे
चेहरा कल का दिखाती है ऑखे
बहुत कुछ जताती है
बहुत कुछ छुपाती है ऑखे-
बागो का राजा आम
मेरी झोली मे कब आएगा
मीठे आम के रस मे मन
मेरा आनंद से भर जाएगा
रुठ गया जो मुझसे
वो बचपन दिल बहलाएगा
आशाओं से भरा वो
जीवन याद आजाएगा
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सरगम ने गीत सजाया
सुर ने संगीत बनाया
चंद्र से रजनी चमकने लगी
बदरा से बरखा बरसने लगी
फूल को महकाया
बहारो ने
अमावस को बहलाया
तारो ने
मन ने यह प्रीत निभाई
कसमों ने रीत निभाई-