Moeen Siddique   (moeen)
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Joined 8 October 2017


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Joined 8 October 2017
6 OCT 2021 AT 22:16

हमी हैं पांव की ज़ंजीर अपने,
हमी हैं रोकते रास्ता हमारा।

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1 SEP 2021 AT 15:30

सदा रहेगा ये गाँव हम में।
शहर में शहरी हुए नहीं हैं।

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13 AUG 2021 AT 0:52

इस उदासी में क्या किया जाए,
क्या उसे याद कर लिया जाए।

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5 AUG 2021 AT 1:13

کاوش۔۔

KAAVISH...

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25 JUL 2021 AT 3:58

अग़र वो आसी हुए नहीं हैं,
सो रोगी हम भी हुए नहीं हैं।
बदल दिया ख़ुद को जिनकी ख़ातिर,
वो मेरी मर्ज़ी हुए नहीं हैं।
है तुमसे रग़बत अभी तलक है,
सो पूरे बैरी हुए नहीं हैं।
सदा रहेगा ये गांव हम में,
शहर में शहरी हुए नहीं हैं।
ये कुछ पलों की ही बदलियां हैं,
उजाले तीरी हुए नहीं हैं।
अभी तो शब भर हमें है जलना,
चराग़े सहरी हुए नहीं हैं।
आएगी उर्दू भी आते आते,
अभी तो क़ारी हुए नही हैं।
मसीहा कहते हैं ख़ुदको लेकिन,
सवार सूली हुए नहीं हैं।

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18 JUL 2021 AT 19:37

यह जो मेरे आंगन में सूखा सा शज़र है ना,
ग़र होता हरा तो इस पर भी चिड़ियाँ होतीं।

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3 JUL 2021 AT 0:13

मत कर माया को अहंकार
मत कर काया को अभिमान
काया गार से काची
जैसे ओस रा मोती
झोंका पवन का लग जाए
झपका पवन का लग जाए
काया धूल हो जासी।



By.Kabir das

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2 JUN 2021 AT 22:59

इश्क़ करके हमें बेक़रारी ही बेक़रारी हुई।
मेरी जान हम पर बहुत दिल आज़ारी हुई।

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1 JUN 2021 AT 4:09

ये बारिशें ये रात का मौसम और तुम्हारा ख़याल,
तुम्हे सोचा तो हमें यार बेक़रारी ही बेक़रारी हुई।

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26 MAY 2021 AT 2:47

तुम्हारी याद जो अब इस दिल से खो गयी है,
यक्का-ओ-तन्हा मेरी तन्हाई हो गयी है।

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