मंतेग चहल   (मंतेग चहल)
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मैं भी वही जो आप सब, परमात्मा से रीसी हुई एक बूंद।
Joined 19 June 2018


मैं भी वही जो आप सब, परमात्मा से रीसी हुई एक बूंद।
Joined 19 June 2018

"तुम्हें क्या फर्क पड़ता है?"

तुम्हें क्या फर्क पड़ता है, कोई रोए या मरे,
जब तक तुम्हारी थाली में रोटी भरे।
न सच्चाई की परवाह, न झूठ से बैर,
तुम जैसे खामोश लोग ही हैं सबसे बड़े कहर।

ना कोई लड़ाई, ना कोई सवाल,
बस आँखें मूंदे, जैसे दुनिया हो बेहाल।
जो जल रहा है सच के लिए, वो अकेला क्यों है?
क्यों तुम जैसे लोग हर बार तमाशबीन होते हैं?
तुम खामोश रहे, क्योंकि तुमको चैन चाहिए,
पर याद रखना —
कल जब आग तेरे दर तक आएगी,
तब आवाज़ उठाने वाला कोई नहीं बचेगा भाई।

ज़िन्दगी के मोड़ से 🔥

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"सफलता के नाम पर भेज दिया,
तरक्की के ख्वाब में बेच दिया।
ना सोचा वहाँ क्या होगा हाल,
ना जाना दिल का दर्द बेहाल।
बस टिकट और वीज़ा देखा,
फिर बच्चों को कुएं में फेंका...
परदेस की चमक में खो बैठे,
घर के चिराग भी रो बैठे..."

— मंतग सिंह चहल, ज़िंदगी के मोड़ से

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दुनिया दौड़ी हानि-लाभ के पीछे,
मैं ठहरा एक मोड़ पे, कुछ सोचने लगा।

ना अमीरी की चकाचौंध ने रुलाया,
ना गरीबी की रातों ने डराया।

सुख-दुख बस दो चेहरे थे ज़िंदगी के,
मैं उनके बीच की ख़ामोश रेखा में उतर आया।

अब समझ आया —
सच तो वही है जो भीतर से सुकून दे,
जो भीड़ से दूर, मगर खुद के पास ले आए।

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आज के समय में मानव दानव इसलिए बन चुका क्योंकि वो सिर्फ लाभ देखता है पर शुभ नहीं देखता भूल जाता है के लाभ से पहले शुभ लगता है। और शुभ वही होता है जो सबके लिए सुखमय हो ओर सबको शांति प्रदान करे। जो स्वयं को केन्द्र में रख कर हो, वो कभी शुभ नहीं हो सकता, खुद के फायदे के लिए अगर में दूसरों का नुकसान कर रहा हूं तो वो तो अशुभ लाभ है। "शुभ लाभ" नहीं ओर उसका भुगतान एक दिन मनुष्य को ऐसा नुकसान भुगत के करना पड़ता है जिसकी भरपाई पैसा कभी नहीं कर सकता।

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थर थर काया कंपन लागी, हिल्या जाता ज़रा नहीं
जो बुलाया कड़वा बोले रांध कटी तेरी मर्या नही
जिनका पालन पोषण करया तने, उनती पेट तेरा भरया नही
इब कुनबे ने सर पे धर ले, हरी भजन तने करया नही।

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31 MAR 2023 AT 13:04

क्या जमाना आ गया है पहले लोग जीने के लिए खाते थे, आजकल खाने के लिए जीते हैं
पहले लोग जीने के लिए कमाते थे, आजकल कमाने के लिए जीते हैं।
बस इतना सा फर्क समझ नहीं आता पता नहीं क्यों

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10 FEB 2023 AT 11:48

जो कमाया जाए वही पैसा है, जो इक्कठा किया जाता है वो पैसा नहीं पाप है।

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8 FEB 2023 AT 12:59

You believe on God or An atheist..
No matter
God is just a reminder.
I believe or not but I always remembering..in one case I accept him in other case I am declining God existence but in both cases we remind God..god remind our actions because actions will provide us.. they are our reflaxtion. Those doing bad actions never believe in God because they can't leave wrong actions and always decline God existence..

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17 AUG 2022 AT 19:27

सत्य का कोई साथी ही नहीं, सत्य घर से बाहर नहीं निकलता तब तक झूठ सारी दुनिया में फैल जाता है।सत्य का प्रचार प्रसार कोई नहीं करता, सत्य पर चलना अर्थात दो धारी तलवार पर चलने के बराबर है। लेकिन अंत में जीत सत्य की ही होती है,( सत्यमेव जयते)।

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9 APR 2022 AT 18:13

सहज ए मिले सो दूध है,मांगे मिले सो पानी
कह कबीर सो रक्त है,जिसमे खींचा तानी।

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