मनोज यदुवंशी   (मनोज यदुवंशी)
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Joined 22 July 2019


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Joined 22 July 2019

गोरी तोहरे याद सतावे,
तोहरे बिन चैन ना हमके आवे,
का भोर का दुपहरी का ई साँझ ,
रात के चंदा और तड़पावे।

जब से भईल जुदाई,
दिल तोहसे और जुड़ गईल,
भीड़ में हम तन्हा हो गईली,
रातें दिन मुस्कुराहट सितम हो गईल।

-



वो तकदीर के भरोसे कब था?
क्योंकि उसे पता है।
तकदीर को मेहनतकश सवार सकता है।
डूबी हुई कश्ती को भी पार कर सकता है।
हवा के रुख को भी अपनी और मोड सकता है।

उसे प्यार हो जाता है।
तकदीर क्या होती है?
तब उसे समझ आता है।

जिसे वह शिद्दत से चाहता है।
जिसे वह सपनों में देखता है।
जिसे वह ख्वाबों में ढूंढता है।
वह पास भी होती है दूर भी होती है।
वह कहानी को हकीकत समझता है।
और हकीकत तो कहानी कहता है ।


ओ पागल अब किस्मत पर भी भरोसा करने लगता है।

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जब कोई समझे तुम्हारा गम,
तभी तुम आंखों को नम करना !

बड़े फिदरती लोग हैं साहब,
आंसुओं का भी हिसाब लगा देते हैं,
कहते हैं समझ गए हैं सब कुछ,
परंतु बाद में मजाक बना देते हैं!

सारे गम आंसू पी लेना,
दुख ही दुख में जी लेना,
परंतु दो शब्द सांत्वना के लिए,
किसी से कभी तुम कुछ मत कहना।

मतलबी दुनिया है साहब,
अच्छे लोग कहां मिलते हैं,
जो बिन कहे तुम्हारी बातों को,
बिन सुने तुम्हारे जज्बातों को,
समझ जाए।
ऐसे लोग कहां रहते हैं?

जब रास्ते मे मिले कोई अजनबी,
जिससे दिल के रिश्ते हो,
सब कुछ कह देना तुम उससे,
भले खून के रिश्ते न हो।

जब कोई समझे तुम्हारा गम,
तभी तुम आंखों को नम करना !





-



मेरे मन को प्रेम मिल जाए ,
जैसे तम मिले रात को,
रोशनी मिले दिन को,
बरसात मिले मेघ को,
मेरी हर बात तेरे दिल को छू जाये,
प्रेम मे डूबी ये नदियो ने,
सागर मे खुद को डुबोया है
वैसे मेरा मन भी,
तेरे दिल मे खोया है।
मेरा दिल तेरे सिवा,
किसी को देखना नही चाहता है,
शायद एक तू ही है,
जिसका इसे वर्षों से,
इंतज़ार था।




-



सुनो ये मौसम ये राते और हमारी बातें,
क्या सभी तुम्हारे गांव जा रहे है?
सब कुछ सामान्य सा लग रहा है,
न लिखा जा रहा है, न पढ़ा जा रहा है।
बस तेरी यादो का सिलसिला जगमगा रहा है,
हर पल हर वक्त तेरी यादो की डोर बढ़ रही है।
ये दूरी ये जुदाई मुझे बहुत तड़फा रही है,
अब तो भौंरे भी नही गुनगुना रहे है।
बिना शोर मचाये ये दिल तुमको बुला रहा हैं,
मेरा "मन " अब धीरे - धीरे तेरे "प्रेम" मे समा रहा है।

-



सुनो जा रहे हो तो जाओ,
मगर खुश रहना हमेशा,
क्योकि तुम्हारे खुश रहने से,
मेरे दिल को भी सुकून मिलता है।

तेरे मुस्कुराते चेहरे और उसकी चमक,
चंचल से होंठ और आँखो की दमक,
काली घटा सी जुल्फे और उसका छाव,
मेरे मन को मन ही मन बहुत तड़पाता है।

मेरी मन अब तेरे सिवा,
किसी और को देखना भी बेगाना समझता है,
दिल तुम्हारे सिवा,
किसी और को सोचना भी वाजिब नही समझता है।

कुछ तो हुआ हैं मुझे,
मै पहले जैसा नही रहा,
ये शहर खामोश हो गया,
और दुनिया तुम तक सिमट गयी है।

वक्त- बेवक्त ये मेरा दिल,
तुम्हे याद करता है,
कुसूर आपका होता है,
आवारा मै बन जाता हूँ।

मै तुम्हारा हूँ और तुम्हारा ही,
रहना चाहता हूँ।
तुम्हे और हमे कोई और चाहे,
अब ये दिल बर्दास्त नही कर सकता है।

-



मन करता है,
तेरी जुल्फों की छांव में बैठा रहूं।
मन करता है,
तेरे चेहरे की रोशनी में पढ़ता रहूं।
मन करता है,
तेरी बातों को गांव में खोता रहूँ।
मन करता है,
तेरी नींदों के सपनों में सोता रहूं।
मन करता है,
तेरी ओठो की मुस्कान और मैं हंसता हूं।
मन करता है,
तेरी माथे की चमक और मैं जलता रहूं।
मन करता है,
तू जहां भी जाए और मैं तेरी परछाई यूं ही बनता रहू।
मन करता है,
कभी रांझा तो कभी हीर कभी बादशाह बनता रहूँ।
मैं तो बस इतना चाहूं,
तू मेरी राधा और मैं तेरा श्याम बनता रहूं।

-



जिंदगी है आपसे,
आपसे ही मेरा मन है,
आपके बिना,
ये चांद भी बेरंग है।

जीवन की इस बगिया में,
बेहद खास पुष्प हो आप,
मेरे इन सपनो के,
एक ही आस हो आप।

दिल्लगी है आपसे,
रूह भी तड़पती है,
जीवन के सारे रंगो में,
एक रंग आपको ही समझती है।


-



सुनो आज याद बहुत आ रही है,
दिल से पूछा क्यो? जवाब मिलेगा,
पर मेरा मन अब दिल के जवाब को,
सुनना नही चाह रहा है।

जानते हो ये सर्द मौसम और बारिश,
मेरे दिल पर दोगुना कहर ढा रहे है,
और ये चाँद पूछो न यार,
ये भी बादलो के बीच से मुझे चिढ़ा रहा है।

खैर छोड़ो ये सब फ़िज़ूल की बातो को,
तुम भी सुनकर मुस्कुरावोगे,
जब तुम्हे पता चलेगा,
ये सब हमे पागल बना रहे है।

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दो-दो चांद के दर्शन एक साथ साथ हुए,
जैसे बिन रैना के बरसात हुए,
अहद-ऐ- दिल तो तुम ही हुए,
जैसे सारे सपने मेरे साकर हुए।

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