मनोज कुमार टुडू   (#सोशल योगी मनोज कुमार)
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आदर्श योग शिक्षक
Joined 22 October 2019


आदर्श योग शिक्षक
Joined 22 October 2019

विपरीत कर्म दु:ख का मूल !!...
रीति-नीति से युक्त कर्म !...
सुख का फल एवं फूल !!...

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डर निडरता को लाने की गीत है !!...
डर के आगे जीत है !...
डर जीवन की मीत है !!...
जीवन को मिलती जिनसे जीत है !...
"भय का क्षय" !!...
सुरक्षित होने की रीत है !...

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वर्तमान में ठहरना...
..तीनों कालों में फहरना
होता है, जैसे कि...
"झंडा का फहरने का एजेण्डा"...
...होता है
"वर्तमान समम डंडा"...
...उस समय की क्रियाएँ फंदा
होता है...
"निरंतर ठहरना ही फहरना"...
...होता है

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जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जा की पार्वती पिता महादेवा
फल चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा
दुखियन के दु:ख बढ़े संत करे सेवा
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा

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बोलना तोलना होता है
ना कम ना अधिकतम
तन से और मन से
टटोलना होता है
...*"राज़"*...
संतुलन और
असंतुलन का
...*"खोलना"*...
होता है

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साजिशें नकारात्मक शक्तियों का आधार !
@"जबकि"@
कोशिशें सकारात्मक शक्तियों का आधार !!

नकारात्मक शक्तियाँ निर्माण को मिटाती है !
@"जबकि"@
सकारात्मक शक्तियाँ निर्माण को लाती है !!

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स्थूल शरीर , सूक्षम शरीर और कारण शरीर !
"तीन आकारों की आकृति" !
वात, पित् और कफ़ तीन प्रकृति की प्रचीर !
"तीनों का संतुलित विस्तार" !
स्वस्थ तन, मन, जीवन और
शरीर !

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पञ्च भूताग्नि, सप्त धात्वाग्नि
"एक जठराग्नि"
तेरह अग्नियाँ निरन्तर जलती है
"ज्योति जीवन की निरंतर चलती है"
"मौत को छलती है"
यात्रा जीवन की दूर निकलती है

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जल से जीवन, वन और उपवन
"संतुलित जल"
हरियाली,खुशहाली
"पल-पल"
जल बिन जीवन दुर्दिन
"जल जीवन"
लाती है हर दिन

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ध्वनि जब संतुलित होती है
"गीत और संगीत होती है"
जबकि असंतुलित आवाज
"शोर होती है"
शक्ति सुनने की जिनसे कमजोर होती है
"अन्दर और बाहर भी"
ध्वनि हर ओर होती है
"सुनते वही हैं"
जिनकी स्पीकर ओन होती है
"ओउम श्री गुरुभ्यो नमः"

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