मनीषा सिंह (S)  
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Joined 30 January 2020


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Joined 30 January 2020

डूबती हुईं आंखों को किनारा चाहिए
समुद्र के किनारे रेत को सहारा चाहिए।
❣️

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कहीं भी रहूं
सुकून तुम्हारे पास मिलता है।
❣️

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तन्हा रहने से अच्छा है हम अपने परिवार को हो दुनिया बना ले।

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जिन्हें मंजिल प्यारी होती
उन्हें मुश्किलें घेरती है।

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उन आंखों को
जिसमें डूबी हर
ख़्वाहिश थी
मैं हमेशा इस इंजतार में
आएगी झोंके सी
ठहर कर मेरा हाल पूछेगी
मैं उसे फिर
कभी जाने ना दूँगा
यह सोच कर
मैंने रात के अंधेरों को
अपने में सिमट कर
रह गया।

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तुम धड़कनों में हो
तुम मेरे विश्वास में हो
ऐसे मचलते हवाओं में हो
हाँ यह जमीन की रेत है
मैं यहां नहीं
तुम्हारे पास तुम्हारे साथ
तुम्हारे लिए हूं
हाँ तुम धड़कनों में हो
तुम मेरे विस्वास में हो।
❣️

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तुझे होंठो से छू कर साँसों में उतरना है
तेरा दिल ही नहीं जिस्म भी हासिल करना है।
❣️

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Corona कभी खत्म नहीं होगा और स्कूल बंद रहेगा।
🤣🤣🤣

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Mere sath chalo saya ban kar tum
Mere man mein nahi
Mere andar bas jao
meri takdir ban kar tum
❣️

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वक़्त के आगे मजबूर हू तब ही तुमसे दूर हूं
खुदा की रहमत है कि आज दूर होकर भी तेरे पास हूं।
❣️

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