मन की उमंग 🧚🏻‍♀️   (Pragya shukla ✍️)
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Joined 15 March 2021


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Joined 15 March 2021

कौन सुने विपदा मेरे मन की, मन में अब अँधियारा है

बदला मौसम बदली दुनिया ,बदला ये जग सारा है l

जीवन की विपरीत परिस्थिति, ख़ुदा का एक इशारा है

हस लो आज ज़माने वालों, कल फिर समय हमारा है l

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एक पिता हर वक्त कुछ सोचता रहता है
अपने बच्चों की खुशियों को खोजता रहता है
जाने कितनी उलझने उसके मन मे चल रही होती हैं
पर कहीं उसके बिखरे हुए दिल में
कुछ उम्मीदें पल रही होती हैं
खाली हाथ बैठा होता है पर कभी दिखाता नहीं है
कितना परेशान है वो कभी बताता नहीं है
कभी पूछ लो क्या सोच रहे हो पापा
कुछ भी तो नहीं कह कर टाल देता है
कहीं हम उदास ना हो जायें इस लिए
वो अपनी उलझनों को अपने मन मे ही सम्भाल लेता है
नकली मुस्कान चहरे पर लाकर कुछ बातें हो जाती हैं
कुछ ही पलों में धीरे-धीरे वो मुस्कान फिर कहीं खो जाती है
खुशियों से फिर पिता बेख़बर हो जाता है
कल क्या होगा सोच कर मन ही मन घबराता है
फिर भी हमारी हसी को कभी खोने नहीं देता है
एक पिता ही तो होता है जो हमे कभी रोने नहीं देता है
कंधों पर बोझ मन मे हलचल दिल में उम्मीद लिए मुस्कराता है
पापा के जैसा इस दुनिया में कौन भला हो पाता है ll

Pragya_shukla✍️











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मन में कितनी हलचल होती है फिर भी इंसान उपर से कितना शांत नज़र आता है

लोग देखते हैं उसकी खामोशी पर उसके अंदर का शोर कौन समझ पाता है

कितना परेशान है वो खुद में चिल्ला चिल्ला कर कह रहा होता है

पर दुनिया के सामने वो सब अपने अंदर ही सह रहा होता है

कहीं उसका मज़ाक ना बन जाए इस लिए उसे सब अंदर ही छिपाना पड़ता है

गला भर जाता है आंसू सूख जाते हैं फिर भी लोगों के सामने मुस्कुराना पड़ता है l

Pragya_shukla✍️


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जिंदगी की भीड़ जब अकेला कर दे

कुछ बोल ना सको इतना गला भर दे

तब कभी कभी भुला देना ही अच्छा है

दिल तो रोकेगा तुझे क्यूँ की दिल बच्चा है।

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रात अंजान है मन परेशान है

दुनिया भर की भीड़ है

फिर भी दिल वीरान है

झूठी हसी अपने लबों पर लेकर

जिंदगी जीने का तरीका आसान है।

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ना मिलने की तमन्ना अब जुदा होने की ख्वाहिश है l

रहे अब दूर तू मुझसे ये दिल की आजमाइश है ll

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मेरा -मेरा करते- करते सारा वक़्त ही गुज़र गया
चलते -चलते राहों पर जाने कहाँ मेरा सफ़र गया।

कुछ सपनों के सच होने की उम्मीदों पर जिंदा थे
कल तक जो जिंदा था मुझ मे आज मुझी मे मर गया।


Pragya_shukla✍️

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आरज़ू थी उन्हें नज़रे भर के देखने की ।

और सामने जब वो आये तो मेरी नज़रे ही भर गयीं ।।

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कल जो अपनी सी लगती थी
अब वो महफिलें नहीं रहीं

वो बात भी नहीं रही वो रात भी नहीं रही
ये खेल वक़्त का है मुलाकात भी नहीं रही

वो लोग भी नहीं रहे वो दिल्लगी नहीं रही
कल तक जो जिंदगी थी अब वो जिंदगी नहीं रही

Pragya_shukla✍️

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माँ तुझसे है आशा तुझसे अभिलाषा है
जीवन का सुख दुःख से गहरा नाता है

कहता है अम्बर धरती ये कहती है
बाकी ना कोई बस तू ही तो मेरी है

एक माँ तेरा सहारा है, तेरे बिन नहीं गुजारा है
कष्ट सह सह कर माँ तूने,मेरे जीवन को संवारा है

कोशिश है मइया खुशियों से तुझे भर दूँ
अपना ये जीवन तुझको अर्पण कर दूँ

घर द्वार की रौनक का तू ही तो तारा है
एक तू ही तो मइया संसार हमारा है।

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